नई दिल्ली : भारत के दक्षिण में पड़ोसी देश श्रीलंका की राजनीति में पिछले 24 घंटों में बहुत कुछ बदल चुका है। श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर पूर्व राष्ट्रपति और विपक्ष के नेता महिंदा राजपक्षे को सत्ता सौंप दी गई हैं।
श्रीलंका में आए राजनीतिक भूचाल ने न सिर्फ नई दिल्ली की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में लोकतांत्रिक मुल्यों के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है।
रानिल विक्रमसिंघे को शुरू से भारत के करीबी माना जाता रहा है, लेकिन कम्युनिस्ट नेशन चीनी समर्थक राजपक्षे को अचानक सत्ता सौंपकर सिरीसेना ने नई दिल्ली से लेकर वॉशिंगटन को हैरानी में डाल दिया है।
श्रीलंका में राजनीतिक उठापठक को भारत फिलहाल उनकी एक 'आंतरिक समस्या' के रूप में देख रहा है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर नजरें बनाई हुई हैं।
हालांकि, भारत ने फिलहाल श्रीलंका की राजनीति में अचानक आए बदलाव पर कोई बयान जारी नहीं किया है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले सप्ताह विक्रमसिंघे ने नई दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उसके तुरंत बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया।
श्रीलंका में आए राजनीति तूफान के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। अमेरिका ने श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान का पालन करने और हिंसा से दूर रहने के लिए आग्रह किया है।
अमेरिका ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका सरकार ह्यूमन राइट्स, सुधार, जवाबदेही, न्याय और सुलह के लिए अपनी जेनेवा प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगा।'
वहीं, ब्रिटिश मिनिस्टर मार्क फिल्ड ने भी श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान और कानून का पालन करने के लिए कहा है
श्रीलंका में आए राजनीतिक भूचाल ने न सिर्फ नई दिल्ली की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया में लोकतांत्रिक मुल्यों के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है।
रानिल विक्रमसिंघे को शुरू से भारत के करीबी माना जाता रहा है, लेकिन कम्युनिस्ट नेशन चीनी समर्थक राजपक्षे को अचानक सत्ता सौंपकर सिरीसेना ने नई दिल्ली से लेकर वॉशिंगटन को हैरानी में डाल दिया है।
श्रीलंका में राजनीतिक उठापठक को भारत फिलहाल उनकी एक 'आंतरिक समस्या' के रूप में देख रहा है, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम पर नजरें बनाई हुई हैं।
हालांकि, भारत ने फिलहाल श्रीलंका की राजनीति में अचानक आए बदलाव पर कोई बयान जारी नहीं किया है। हैरान करने वाली बात है कि पिछले सप्ताह विक्रमसिंघे ने नई दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और उसके तुरंत बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटा दिया गया।
श्रीलंका में आए राजनीति तूफान के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने कड़ी आपत्ति व्यक्त की है। अमेरिका ने श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान का पालन करने और हिंसा से दूर रहने के लिए आग्रह किया है।
अमेरिका ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका सरकार ह्यूमन राइट्स, सुधार, जवाबदेही, न्याय और सुलह के लिए अपनी जेनेवा प्रतिबद्धताओं को कायम रखेगा।'
वहीं, ब्रिटिश मिनिस्टर मार्क फिल्ड ने भी श्रीलंका की सभी राजनीतिक पार्टियों को संविधान और कानून का पालन करने के लिए कहा है
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