बताया जा रहा है कि रविवार को भी ये लोग बड़ी संख्या में घटनास्थल यानी की रेलवे ट्रैक के पास जमा हैं.
इनका कहना है कि सरकार लोगों की मौत के आंकड़े को कम बता रही है. साथ ही मामले में कार्रवाई करने में देरी की जी रही है. इसके अलावा रावण दहन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में पुलिस की खामियों को लेकर भी लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है.
बताया जा रहा है कि घटनास्थल और आसपास के इलाके में तनाव की स्थिति है. यही वजह है कि भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है.
अमृतसर ट्रेन हादसे में राहण दहन के दौरान ट्रेन की चपेट में आकर 61 लोगों की मौत हो गई है. इसमें अभी भी कई घायल हैं. इस हादसे के कई कारण बताए जा रहे हैं. मगर स्थानीय प्रशासन, रेलवे, आयोजक सभी अपनी ज़िम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे हैं.
सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट 4 हफ्ते में आ जाएगी. अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR भी हो गई है लेकिन आयोजनकर्ता कहां है इसका किसी को पता नहीं. स्थानीय कांग्रेस पार्षद के बेटे और आयोजनकर्ता सौरभ मदान मिट्ठू के घर पर आज भी ताला लगा है और यहां भी लोगों ने प्रदर्शऩ किया है.
बताया जा रहा है कि उनके घर पर कुछ लोगों ने पथराव किया है और घर में शीशे टूटे हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि अपनी जान की सलामती के लिए सौरभ मदान फिलहाल सामने नहीं आ रहे हैं.
दरअसल, अमृतसर में ट्रेन दुर्घटना स्थल के निकट यहां के लोग लापता लोगों की तलाश करने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यह दावा किया कि कुछ लोग अब भी लापता हैं.
प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि लापता लोगों का पता लगाया जाए और पीड़ितों के परिवार को पर्याप्त मुआवजा भी दिया जाए. जोड़ा फाटक के समीप एक इलाके के रहने वाले कमल ने कहा, ‘मेरे इलाके में रहने वाले दो मजदूर अब भी लापता हैं.'कमल ने आशंका जताई कि सरकार ने मृतकों की जो संख्या बताई है वह उससे अधिक हो सकती है.
मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को घटनास्थल तथा अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद कहा था कि 59 लोगों की मौत हुई है और 57 घायल हैं. हालांकि सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट राजेश शर्मा ने बताया कि हादसे में 61 लोगों ने जान गंवाई.
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