भोपाल : कांग्रेस ने मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद पर वरिष्ठ नेता कमलनाथ की ताजपोशी कर दी। इस पद के दूसरे दावेदार सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष की जवाबदारी दी गई है।
क्षेत्रीय, गुटीय और जातीय संतुलन बैठाने की गरज से पहली बार चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति भी की गई है। नाथ 1 मई को अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष के अलावा जिन चार नेताओं को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया वे हैं।
बाला बच्चन, रामनिवास रावत, जीतू पटवारी और सुरेन्द्र चौधरी। कांग्रेस में ऐसा पहली बार हो रहा है जब अध्यक्ष के अलावा चार चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए हों।
कांग्रेस में हुए इस फेरबदल का इंतजार पिछले दो-तीन साल से था, लेकिन पार्टी नेतृत्व यह तय नहीं कर पा रहा था कि कमलनाथ और सिंधिया में से किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाएं और किसे चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष।
इस ऊहापोह का लाभ अरुण यादव को मिला और वे चार साल से ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहने का कीर्तिमान बना गए।
यादव को 2014 में उस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था, जब विधानसभा चुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था। तब कांतिलाल भूरिया को हटा कर अपेक्षाकृत युवा अरुण यादव को पीसीसी की कमान सौंपी गई। यादव को कमान मिलने के चार माह बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस फिर चारों खाने चित नजर आई।
उस चुनाव में कांग्रेस मध्यप्रदेश से सिर्फ दो सांसद ला पाई थी। एक कमलनाथ और दूसरे ज्योतिरादित्य सिंधिया। लोकसभा चुनाव के लिहाज से यह कांग्रेस का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन था।
निवर्तमान अध्यक्ष अरुण यादव भी उस चुनाव में हार गए थे। इसके बाद उनके नेतृत्व में हुए अनेक उपचुनावों में पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। नाथ और सिंधिया को कांग्रेस का अजेय योद्धा माना जाता है।
कमलनाथ 1980 से लगातार मध्यप्रदेश की राजनीति में सक्रिय है। 80 में पहली बार वे छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से विजयी रहे और एक चुनाव को छोड़ उन्होंने हर चुनाव जीता। जबकि सिंधिया 2002 में हुए उपचुनाव में गुना संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने। इसके बाद हुए हर चुनाव में उन्हें सफलता मिलती गई।
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