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मप्र विधानसभा : हंगामे के बाद चार बार स्थगित हुई विधानसभा, विपक्ष ने दिया धरना

भोपाल : मध्यप्रदेश में महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचारों के मामले में पर चर्चा कराने के लिए विपक्ष ने विधानसभा में जमकर हंगामा किया। इस दौरान चार बार कार्यवाही स्थगित हो गई।
 बार-बार हंगामे के बाद सदन को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और विपक्षी विधायकों ने परिसर में स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देकर आधे घंटे तक मौन प्रदर्शन किया।
विपक्षी विधायक प्रश्नकाल के दौरान गर्भगृह में आ गए, जिससे 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करना पड़ी। 
कांग्रेस विधायक कार्यवाही रोककर भोपाल सामूहिक दुष्कर्म मामले को लेकर चर्चा करने की मांग करते रहे। उनका आरोप है कि प्रदेश में हर दिन दुष्कर्म की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन सरकार संजीदा नहीं है।
संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे उमाशंकर गुप्ता ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हम कानून बनाने जा रहे हैं, सारी कार्रवाई हो चुकी है। 
इस विषय पर प्रश्नकाल रोककर चर्चा कराने का कोई औचित्य नहीं है। विधानसभा अध्यक्ष ने भी विपक्ष को समझाने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल चलने दें, गृह विभाग के पांच सवाल लगे हैं जो काफी महत्वपूर्ण हैं।
 इसी तरह राजस्व विभाग के भी महत्वपूर्ण सवाल लगे हुए हैं। कांग्रेस विधायकों ने आरोप लगाया कि सरकार ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी चर्चा नहीं करना चाहती है। जबकि इसके लिए 8 दिन पूर्व ही स्थगन प्रस्ताव दिए जा चुके हैं।
कांग्रेस के डॉक्टर गोविंद सिंह, रामनिवास रावत, तरुण भनोत, सचिन यादव सहित सभी विधायकों ने एक सुर में कहा कि प्रदेश में प्रतिदिन बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सरकार की व्यवस्था फेल हो चुकी है। ऐसे में इस गंभीर मुद्दे पर सदन में चर्चा कराया जाना बेहद जरूरी है।
वहीं उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि स्थगन को लेने का कोई औचित्य नहीं है सरकार की ओर से सारे कार्यवाही की जा चुकी है। सरकार दुष्कर्म जैसे मामले में फांसी की सजा देने जैसा कड़ा कानून बनाने जा रही है अनुपूरक बजट आज प्रस्तुत होने वाला है।
 विपक्ष चाहे तो इसमें भी इस मुद्दे पर चर्चा कर सकता है, इसके साथ ही गृह विभाग के जो सवाल लगे हैं उसमें भी अवसर है पर विपक्ष सत्ता पक्ष की बात सुनने को राजी नहीं हुआ।
विपक्षियों ने आरोप लगाया कि सरकार चर्चा से बचना चाहती है सदन में हंगामे के दौरान गृहमंत्री भूपेंद्र से अपने स्थान पर चुपचाप बैठे रहे उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक शब्द भी नहीं बोला। 
बाबूलाल गौर ने सत्ता पक्ष की ओर से विपक्ष से गुजारिश की कि सदन को चलने दें, निम्न अनुसार प्रश्न होने दें लेकिन उनकी बात को भी अनसुना कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही दूसरी बार 10 मिनट के लिए स्थगित हुई।
डॉ गोविंद सिंह ने किया सरकार पर तीखा प्रहार कर कहा कि एक मंत्री जो 302 का आरोपी है। उस तक पर कार्यवाही नहीं हो पा रही।
 प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति हो बिगड़ चुकी है। मंत्री पर ही कार्यवाही नहीं तो आम जनता का क्या हाल हो रहा होगा। यह समझा जा सकता है यदि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर भी सरकार सदन में चर्चा नहीं कराती है तो फिर वह किस मुद्दे पर चर्चा कराएगी।
वही सरकार की ओर से पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि शक्ति कांड मामले में सभी कार्यवाही हो चुकी हैं।
 सूखे सहित अन्य समस्याओं से जुड़े कई मामले हैं, जिन पर चर्चा होनी है लेकिन लगता है कि विपक्ष चर्चा से भाग रहा हैं। वहीं सरकार के 12 साल बेमिसाल पर भी सवाल उठे, विपक्ष ने कहा कि यह कैसा बेमिसाल जब प्रदेश में महिलाएं बच्चे ही सुरक्षित नहीं तो फिर बेमिसाल कैसा।
विधानसभा की कार्यवाही तीसरी बार 12 बजे तक के लिए स्थगित की गई। हंगामा जारी रहा, इस बीच विधानसभा अध्यक्ष ने दो प्रश्न भी कराएं कांग्रेस विधायक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने अड़े रहे। 
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा किसी ना किसी रूप में चर्चा करा ली जाएगी पर कांग्रेसी विधायक इसके लिए सहमत नहीं हुए। इसके बाद कार्यवाही चौथी बार स्थगित हुई।
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