नागपुर : भारत और श्रीलंका के बीच चल रही टेस्ट सीरीज के बीच, भारतीय टीम के व्यस्त कार्यक्रम को लेकर तरह तरह के बयान आते रहते हैं. ज्यादातर कहा जाता है कि लगातार क्रिकेट खेलना खेल और खिलाड़ी दोनों पर गलत असर डालते हैं.
भारत के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव का मानना है कि क्रिकटर्स को अगर लगता कि खेल ज्यादा हो रहा है तो वे आराम कर सकते हैं. उनका मानना है कि अब क्रिकेट का खेल ज्यादा पेशेवर हो गया है.
वहीं कई विशेषज्ञ आईपीएल को भी जिम्मेदार मानते हैं उनका मानना है कि टी20 के आने से, खास तौर पर आईपीएल जैसी प्रतियोगिताओं के आने से खिलाड़ियों पर दबाव ज्यादा रहने लगा है, और इसका विपरीत असर परंपरागत क्रिकेट पर हो रहा है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि लगातार क्रिकेट दौरे होना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है खिलाड़ियों को दो सीरीज के बीच तैयारी का मौके भी मिलने चाहिए. ताकि मुकाबला स्वस्थ हो सके और खिलाड़ी भी इस बात से संतुष्ट रहें कि वे 100 प्रतिशत दे पा रहे हैं.
कुछ दिन पहले ही भारत के कप्तान विराट कोहली ने इस पर बयान दिया था कि जब उन्हें लगेगा वे आराम मांग लेंगे.
लेकिन रोटेशन जैसी व्यवस्था पर भी तो सवाल खड़े किए जा सकते हैं क्या यह ठीक होगा की हर सीरीज में टीम के एक दो खास खिलाड़ियों को ‘आराम’ दिया जाना खेल के साथ न्याय देना होगा.
इन्हीं सब बातों के बीच कोहली ने स्वीकार किया कि दक्षिण अफ्रीका दौरे की तैयारी के लिये अधिक समय नहीं होने के कारण टीम प्रबंधन के पास श्रीलंका के खिलाफ मौजूदा श्रृंखला के लिये उछालभरी पिचें बनाने का अनुरोध करने के सिवाय कोई चारा नहीं था.
यह पूछने पर कि क्या उन्होंने उछालभरी पिचों की मांग की थी, कोहली ने कहा , हां क्योंकि इस श्रृंखला के खत्म होने के दो दिन बाद हमें दक्षिण अफ्रीका रवाना होना है.हमारे पास उस दौरे पर मिलने वाले हालात में खेलने के अलावा कोई चारा नहीं था.
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