बिछिया भारतीय नारियों के श्रृंगार में अहम भूमिका निभाता है। यह देश के कुछ समुदायों में महिलाओं के विवाहित होने का पारंपरिक प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा पैरों के अंगुलियों में बिछिया को कई कारणों से पहना जाता है।
इसे सजावटी गहने रुप में तथा, सुरक्षा के नजरिये से जिसमें बुरी ताकतों को दूर रखने की शक्ति होती है। इसके अलावा यह रोगों को समाप्त करने के लिए पहना जाता है।
रामायण महाकाव्य में उल्लिखित एक प्रसंग में जब सीता माता को रावण ने अपहरण कर लिया था तब वह रास्ते में भगवान राम के पहचान के रूप में पैर की बिछिया फेंक देती हैं जो बताता है कि प्राचीन काल से बिछिया का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा भी बिछिया को पहनने के विभिन्न फायदे हैं।
बिछिया चांदी की बनी होती है। चांदी तरंगों का एक अच्छा सुचालक होता है। यह धरती से आई ध्रुवीय उर्जा को अवशोषित कर शरीर के पास जाने से रोकता है।
बिछिया कभी भी सोने के धातु से नहीं बनाई जाती है। क्योंकि भारतीय संस्कृति में सोने को विशेष सम्मानजनक स्थिति प्राप्त है और इसे कमर के नीचें नहीं पहना जा सकता है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी सोने को धारण करती हैं इसलिए इसे शरीर के निचले भाग में नहीं पहना जा सकता है।
पैरों की उंगलियों में बिछिया को पहनने से उत्तेजना में वृद्धि होती है।
पैरों की अंगुलियों में बिछिया को पहनने के वैज्ञानिक कारण भी हैं। हमारे शरीर के पैरों में मौजूद प्रेशर पॉइंट्स को यह दबाता है। वेदों के अनुसार इन पॉइंट्स पर प्रेशर डालने पर महिलाओं के मासिक धर्म नियमित रुप से चलता है।
इसके साथ ही वह शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखता है। है और महिलाओं के गर्भ धारण करने में सहायक होता है।
यह भी माना जाता है कि पैरों की अंगुलियों में बिछिया को पहनने से तंत्रिकाओं पर दबाब बढ़ता है। जो कि महिलाओं के स्वास्थ को संतुलित रखने में सहायता प्रदान करता है।
महिलाओं से स्वास्थ से संबंधित कुछ किताबों में इसे स्त्री रोग के निवारण के लिए भी जाना जाता है।
इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि पैरों की अंगुलियों से कुछ विशेष तंत्रिकाएं गर्भाशयों से जुड़ी होती है। यह दिन रात चलने से होने वाले घर्षणों से उत्पन्न हुए उर्जा को महिलाओं के प्रजनन शक्तियों को बढ़ाने में सहायक होता है।
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