बिहार में महागठबंधन की सरकार चलाने वाली तीनों पार्टियों के बीच सबकुछ ठीकठाक चलता नहीं दिखाई पड़ रहा. एक तरफ जहां कांग्रेस और आरजेडी GST का विरोध कर रही हैं. वहीं जदयू और नीतीश कुमार इसके पक्ष में हैं.
GST पर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जेडीयू ने समर्थन का ऐलान किया है, जिसके बाद से ही महागठबंधन में बयानबाजी का दौर जारी है. पिछले हफ्ते कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने नीतीश के फैसलों पर सवाल उठाया था.
जिसका जवाब अब नीतीश ने दिया है. नीतीश ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी को कांग्रेस से कुछ भी सीखने की जरूरत नहीं है और वे 18-20 सांसदों के दम पर प्रधानमंत्री बनने के सपने नहीं देखते.
वे इस बीच कांग्रेस पर भी पलटवार करते हैं कि कांग्रेस ने पहले गांधी को छोड़ा और फिर नेहरू को भी त्याग दिया.
इससे पहले नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जहां एनडीए के राष्ट्रपति पद उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को सपोर्ट करने की ठान चुके हैं. वहीं राजद और लालू प्रसाद खुले तौर पर यूपीए की राष्ट्रपति पद उम्मीदवार मीरा कुमार के पक्ष में हैं.
बात यहीं रुक जाती तो कोई बात होती. राजद द्वारा आगामी 27 अगस्त, 2017 को आयोजित की जाने वाली 'बीजेपी हटाओ, देश बचाओ' रैली में जहां अखिलेश और मायावती के साथ-साथ कांग्रेस के बड़े नेताओं के मौजूद होने की बात कही-सुनी जा रही है. वहीं नीतीश कुमार इस पर अब तक चुप्पी साधे बैठे हैं.
पहले जहां पार्टी के नेता व महासचिव श्याम रजक ने नीतीश कुमार के इस रैली का हिस्सा न होने की बात कही थी.
वहीं अब जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह कह रहे हैं कि लालू प्रसाद के आमंत्रण पर नीतीश कुमार इस रैली में सहभागी हो सकते हैं. हालांकि उनकी पार्टी अब भी इस रैली से दूर ही रहने की बात हवा में है.
0 comments:
Post a Comment