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मो.अली लाउडस्पीकर के खिलाफ 20 साल से लड़ रहे हैं कानूनी लड़ाई, लाउडस्पीकर से दी गई अजान को मानते हैं गैरस्लामिक

मुंबई : मोहम्मद अली उर्फ बाबू भाई लाउडस्पीकर से अजान दिए जाने को गैरइस्लामिक मानते हैं। इसे बंद कराने के लिए वह बीते 20 साल से संघर्ष कर रहे हैं और इस दौरान उन्होंने सात मस्जिदों से लाउडस्पीकरों को बंद करा दिया है। अभी भी उनकी यह लड़ाई जारी है।
गौरतलब है कि सोनू निगम ने सोशल मीडिया पर लाउडस्पीकर से अजान करने को लेकर ट्वीट किया था। इसे लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सोनू निगम के खिलाफ रोष जाहिर किया था। 
कोलकाता के एक मौलवी ने तो उनके खिलाफ फतवा तक जारी कर दिया था कि उन्हें गंजा करने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर मुंबई के रहने वाले बाबू भाई लाउडस्पीकर के खिलाफ 20 साल से लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। 
उन्होंने लाउडस्पीकर से दी गई अजाम को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी और पैसे कम होने के कारण उन्होंने इस मामले पर खुद ही पैरवी की। वह कहते हैं कि लाउडस्पीकर का प्रयोग धर्म का हिस्सा नहीं है और न ही इसे हटाने से धर्म पर किसी तरह का खतरा है।
66 वर्षीय नवाजी मुसलमान बाबूभाई का मानना है कि लाउडस्पीकर से दी गई अजान गैरस्लामिक है। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर 100 साल से आया है, जबकि इस्लाम धर्म 1400 साल पुराना है, जो कि मुकम्मल है। धर्म लगड़ा नहीं है, जिसे बैसाखी की जरूरत हो।
बाबूभाई का कहना है कि उनकी लड़ाई धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि धर्म के नाम पर जोड़ी गई अतिरिक्त और गैरजरूरी बातों के खिलाफ है। धर्म पहले से ही बेहद मजबूत है, जिसकी बुनियाद को किसी लाउडस्पीकर की जरूरत नहीं है।
धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर की गई सुनवाई के दौरान मुंबई हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में फैसला भी सुनाया था कि कहीं भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल रात दस से सुबह 6 के बीच नहीं होगा।
 ऐसा करने वालों पर एक लाख रुपए तक का जुर्माना और पांच साल तक की जेल होगी। हालांकि, इसके वाबजूद कई धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर प्रतिबंधित समय में भी चलता है।

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