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नोटबंदी ने आतंकियों,नक्सलियों और हवाला कारोबारियों को दिया झटका,आंतकी घटनाओं में 60 फीसदी की कमी

नोटबंदी के फैसले ने आतंकियों, नक्सलियों से लेकर हवाला के कारोबारियों तक की कमर तोड़कर रख दी है। 
सरकार के शीर्ष सूत्रों की मानें तो नोटबंदी में 500 और 1000 के नोटों को रद्दी में बदलना आतंकियों और नक्सलियों के लिए घातक रहा है। 
इससे आतंकियों को मिल रहा पैसा, नकली नोट, नक्सली संगठनों, काला धन जमा करन वाले और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को खासा झटका लगा है। 
इसका असर ये हुआ है कि हिंसा पीड़ित ज्यादातर इलाकों में हिंसा की घटनाओं में भारी गिरावट आई है।
सूत्रों की मानें तो हवाला कारोबारियों को करारा झटका लगा है। सरकार का मानना है कि भारत में बैठे हवाला एजेंटों के कारोबार में 50 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है।
 जहां तक सवाल नकली नोटों का है, सरकार का दावा है कि पाकिस्तान के क्वेटा और कराची के सरकारी प्रिंटिंग प्रेसों में जो भारत के नकली करेंसी नोट छापने का धंधा चलता था, वो बिल्कुल चौपट हो गया है।
 ये सफलता मिली है नए नोटों के डिजाइनों से जिसके बाद पाकिस्तान के स्टेट और नॉन स्टेट एक्टरों की दुकान तो बंद ही हो गयी है. जो भारत में नकली नोटों से न सिर्फ आतंक का जाल बिछाते थे बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर भी करते थे।
सरकारी तंत्र इस बात से भी खुश है कि रियल एस्टेट से भी अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। बिल्डर अब मजबूर होकर घरों की कीमतें गिराएगा और फायदा गरीबों को मिलेगा। अब बैंक भी ब्याज दरों में कटौती करने की तैयारी में लग गए हैं। इसलिए घर की मांग भी बढ़ेगी। 
इसका असर ये होगा कि निर्माण का काम बढ़ाएगा जिससे पिछले कुछ महीनों में हुए छटनी का असर भी दूर होने लगेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
अब बात जम्मू-कश्मीर की। हवाला और नकली नोटों के जरिए घाटी में आतंकियों से लेकर पत्थरबाजी की घटनाओं के लिए पैसा जा रहा था। 
सरकारी सूत्रों का दावा है कि एक झटके में ही आतंकियों का जमा किया हुआ पैसा रद्दी में बदल गया। ऊपर से आतंकियों को पनाह और मदद देने वालों को भी आतंकी संगठन कैश में पैसे देते थे, लेकिन नोटबंदी की मार ने ये पैसा भी उनके हाथ से छीन लिया। 
ऐसे में OGW  यानि ओवरग्राउंड  वर्कर सपोर्ट बेस बिल्कुल कमजोर पड़ गया है। जाहिर है आतंकियों के खिलाफ जारी मुहिम में इससे खासी सफलता हाथ लगी है।
कश्मीर में पत्थरबाजी के लिए भी उकसाने के लिए 500 और 1000 रुपयों के नोटों को आतंकी और अलगाववादी ताकतें बांट रहीं थी। ये पैसे युवाओं को उकसाने में काम आते थे। लेकिन 4 महीने से चला आ रहा ये गड़बड़झाला बिल्कुल खामोश हो गया। 
घाटी में आंतकी घटनाओं में 60 फीसदी तक की कमी आयी है और दिसंबर में सिर्फ एक विस्फोट की खबर आय़ी थी। घाटी में कानून व्यवस्था की स्थिति भी सुधरी है। यहां तक की हुर्रियत ने भी बंद का ऐलान करना बंद कर दिया और उलटे पर्यटकों से कश्मीर आने की अपील भी की। राज्य बोर्ड की परीक्षाएं भी हुईं और 98 फीसदी छात्र परीक्षा में दाखिल भी हुए।
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