वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इशारा दिया है कि सरकार 2017 बजट में टैक्स का बोझ कम कर सकती है। वित्त मंत्री ने कहा है कि, अब देश को निचले टैक्सेशन की ज़रुरत है ताकि हम सेवाओं को और अधिक प्रतिस्पर्धी बना सकें।
यह प्रतिस्पर्धा घरेलू नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर कराने की है। भारतीय राजस्व सेवा के सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के 68वें बैच के अधिकारियों को संबोधन के दौरान जेटली ने कहा कि अब ऐसा माहौल बनाने की ज़रुरत है जहां लोग स्वेच्छा से अपने हिस्से के टैक्स का बोझ उठाएं।
उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों से यह धारणा बनी हुई है कि सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाना कोई बुरी बात नहीं है बल्कि इसे एक तरीके की व्यवसायी शैली या सूझबूझ माना जाता रहा है।
यह अनैतिक है और नागरिकों का दायित्व है कि लोग अपने हिस्से का टैक्स चुकाएं और सरकार इस दिशा में प्रयासरत है कि टैक्सेशन नियमों में नरमी कर लोगों को टैक्स चुकाने के लिए प्रेरित किया जा सके।
ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में 39 लाख से भी ज़्यादा लोग गाड़ियां तो रखते हैं लेकिन 4 लाख से भी कम लोग 5 लाख रुपये से ऊपर टैक्स भरते हैं।
इससे सरकार के टैक्स रेवन्यू में नुकसान होता है। ऊंची टैक्स दरों से बचने के लिए टैक्स चोरी की ओर अग्रसर होते हैं और इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
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