भोपाल : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अरेरा हिल्स में शौर्य स्मारक का लोकार्पण किया. क़रीब 13 एकड़ में फ़ैले इस स्मारक की लागत 41 करोड़ है.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आयोजित शौर्य सम्मान सभा में पूर्व सैनिकों और अन्य लोगों को संबोधित भी किया.
पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत 'शहीदों अमर रहो' और 'वंदे मातरम' के उद्घोष के साथ की. उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे यहां आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मौका मिला.
हमारे देश में जब सेना का स्मरण करते हैं तो उसकी ज्यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है.. 'यूनिफॉर्म, हाथ में शस्त्र, आंखों में ज्वाला' जैसे हरपल दुश्मन की तलाश में हों.
कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो जवान आपत्ति में फंसे लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं.
पीएम ने आगे कहा कि दो वर्ष पूर्व जब श्रीनगर में भयंकर बाढ़ आई, ऐसे समय देश ने देखा कि हमारी सेना के जवान श्रीनगर की इन वादियों में बाढ़ पीडि़तों के जीवन बचाने के लिए अपने आप को खपा रहे थे.
सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती है.रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे कि मोदी सो रहा है, लेकिन हमारी सेना नहीं बोलती. हमारे रक्षा मंत्री भी नहीं बोलते.
मध्य प्रदेश सरकार ने शौर्य स्माकर निर्माण किया.यह हम सभी के लिए तीर्थ क्षेत्र है.भारत मां को अपना परिवार बनाकर, अपनों को अकेले छोड़कर चल देने वाले सैनिकों का यह त्याग 'छोटा त्याग' नहीं.
बचपन से माखन लाल चतुर्वेदी जी की कविता सुनते आए हैं कि 'मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावें वीर अनेक'.
प्रधानमंत्री ने कहा हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे.हर सरकार ने बढि़या शब्दों में उनसे सिर्फ वादे किए.हमारी सरकार आने पर हमने वन रैंक-वन पेंशन लाने का वादा किया था, जो हमने पूरा किया.
आज इससे मुझे संतोष की अनुभूति है.अब तक साढ़े 5 हजार करोड़ रुपये फौजियों के खातों में जमा किए जा चुके हैं.सातवें वेतन आयोग पर सरकार काम कर रही है.
सेवानिवृत्त फौजियों की ढेर सारी शिकायतें लंबित पड़ी थीं, उन्हें हमने तेजी से निपटाया.15-17 साल की नौकरी के बाद फौजी जब वापस घर आता है, तो यह सोचता है कि अब नई जिंदगी कैसे शुरू करूं.अभी हमारी सरकार ने एक महत्वपूर्ण काम किया है.
पीएम ने आगे कहा हवलदार रैंक तक के फौजी की बेटी की शादी के लिए सरकार पहले 16 हजार रुपये देती थी, अब यह राशि 50 हजार रुपये कर दी गई है.जवानों के लिए हमारी सरकार ने कई काम प्राथमिकता देते हुए किए हैं.
रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर कैसे बने, यह हमारा फोकस है.वो दिन जरूर आएगा, जब देश अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए शस्त्र बनाएगा और दुनिया को भी उपलब्ध कराएगा.
दुनिया के कई देशों में परंपरा है कि किसी भी देश में एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों या अन्य जगहां पर बैठे लोग अगर फौजियों को वहां से निकलते देखते हैं, तो वे लोग तालियों से उनका अभिनंदन करते हैं.
हम हमारे देश में धीरे-धीरे यह स्वभाव बना सकते हैं कि हम भी उनका ऐसा ही आदर करें.आप लोग कभी भी जवानों को आते-जाते देखें तो तालियों से उनका स्वागत करें.
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां आयोजित शौर्य सम्मान सभा में पूर्व सैनिकों और अन्य लोगों को संबोधित भी किया.
पीएम ने अपने भाषण की शुरुआत 'शहीदों अमर रहो' और 'वंदे मातरम' के उद्घोष के साथ की. उन्होंने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे यहां आकर श्रद्धा सुमन अर्पित करने का मौका मिला.
हमारे देश में जब सेना का स्मरण करते हैं तो उसकी ज्यादातर चर्चा एक ही रूप की होती है.. 'यूनिफॉर्म, हाथ में शस्त्र, आंखों में ज्वाला' जैसे हरपल दुश्मन की तलाश में हों.
कहीं पर भी प्राकृतिक संकट आया हो जवान आपत्ति में फंसे लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं.
पीएम ने आगे कहा कि दो वर्ष पूर्व जब श्रीनगर में भयंकर बाढ़ आई, ऐसे समय देश ने देखा कि हमारी सेना के जवान श्रीनगर की इन वादियों में बाढ़ पीडि़तों के जीवन बचाने के लिए अपने आप को खपा रहे थे.
सेना बोलती नहीं, पराक्रम करती है.रोज मेरे बाल नोच लिए जाते थे कि मोदी सो रहा है, लेकिन हमारी सेना नहीं बोलती. हमारे रक्षा मंत्री भी नहीं बोलते.
मध्य प्रदेश सरकार ने शौर्य स्माकर निर्माण किया.यह हम सभी के लिए तीर्थ क्षेत्र है.भारत मां को अपना परिवार बनाकर, अपनों को अकेले छोड़कर चल देने वाले सैनिकों का यह त्याग 'छोटा त्याग' नहीं.
बचपन से माखन लाल चतुर्वेदी जी की कविता सुनते आए हैं कि 'मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक, मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पर जावें वीर अनेक'.
प्रधानमंत्री ने कहा हम जानते हैं हमारे देश के जवान पिछले कई दशकों से हर सरकार से वन रैंक-वन पेंशन की मांग कर रहे थे.हर सरकार ने बढि़या शब्दों में उनसे सिर्फ वादे किए.हमारी सरकार आने पर हमने वन रैंक-वन पेंशन लाने का वादा किया था, जो हमने पूरा किया.
आज इससे मुझे संतोष की अनुभूति है.अब तक साढ़े 5 हजार करोड़ रुपये फौजियों के खातों में जमा किए जा चुके हैं.सातवें वेतन आयोग पर सरकार काम कर रही है.
सेवानिवृत्त फौजियों की ढेर सारी शिकायतें लंबित पड़ी थीं, उन्हें हमने तेजी से निपटाया.15-17 साल की नौकरी के बाद फौजी जब वापस घर आता है, तो यह सोचता है कि अब नई जिंदगी कैसे शुरू करूं.अभी हमारी सरकार ने एक महत्वपूर्ण काम किया है.
पीएम ने आगे कहा हवलदार रैंक तक के फौजी की बेटी की शादी के लिए सरकार पहले 16 हजार रुपये देती थी, अब यह राशि 50 हजार रुपये कर दी गई है.जवानों के लिए हमारी सरकार ने कई काम प्राथमिकता देते हुए किए हैं.
रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर कैसे बने, यह हमारा फोकस है.वो दिन जरूर आएगा, जब देश अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए शस्त्र बनाएगा और दुनिया को भी उपलब्ध कराएगा.
दुनिया के कई देशों में परंपरा है कि किसी भी देश में एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों या अन्य जगहां पर बैठे लोग अगर फौजियों को वहां से निकलते देखते हैं, तो वे लोग तालियों से उनका अभिनंदन करते हैं.
हम हमारे देश में धीरे-धीरे यह स्वभाव बना सकते हैं कि हम भी उनका ऐसा ही आदर करें.आप लोग कभी भी जवानों को आते-जाते देखें तो तालियों से उनका स्वागत करें.
0 comments:
Post a Comment