भोपाल से 32 किमी दूर है भोजपुर। भोजपुर से लगती हुई पहाड़ी पर एक विशाल, अधूरा शिव मंदिर हैं।
भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था।
यहां का शिवलिंग दुनिया के विशालतम् शिवलिंगों में शुमार है। भोजपुर को प्राचीन काल में उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता था।
इस शिवलिंग की ऊंचाई करीब 22 फीट है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली जनकथा के अनुसार वनवास के समय इस शिव मंदिर को पांडवों ने बनवाया था।
भीम घुटनों के बल पर बैठकर इस शिवलिंग पर फूल चढाते थे। इसके साथ ही इस मंदिर के पास ही बेतवा नदी है। जहां पर कुंती द्वारा कर्ण को छोड़ने की जनकथाएं भी प्रचलित हैं।
दूसरी मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण मध्यभारत के परमार वंशीय राजा भोजदेव द्वारा करवाया 11वीं सदी में करवाया गया था।
भोजपुर तथा इस शिव मंदिर का निर्माण परमार वंश के प्रसिद्ध राजा भोज (1010 ई – 1055 ई ) द्वारा किया गया था।
यहां का शिवलिंग दुनिया के विशालतम् शिवलिंगों में शुमार है। भोजपुर को प्राचीन काल में उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता था।
इस शिवलिंग की ऊंचाई करीब 22 फीट है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में दो कथाएं प्रचलित हैं। पहली जनकथा के अनुसार वनवास के समय इस शिव मंदिर को पांडवों ने बनवाया था।
भीम घुटनों के बल पर बैठकर इस शिवलिंग पर फूल चढाते थे। इसके साथ ही इस मंदिर के पास ही बेतवा नदी है। जहां पर कुंती द्वारा कर्ण को छोड़ने की जनकथाएं भी प्रचलित हैं।
दूसरी मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण मध्यभारत के परमार वंशीय राजा भोजदेव द्वारा करवाया 11वीं सदी में करवाया गया था।
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