साइरस मिस्त्री ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन पोस्ट से हटाए जाने के बाद पहली बार इस मामले पर बयान दिया है। उन्होंने टाटा बोर्ड को एक ई-मेल लिखा है। कहा- इस तरह से पद से हटाए जाने से शॉक्ड हूं। सोमवार को मिस्त्री को टाटा चेयरमैन के पोस्ट से हटा दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिस्त्री ने लिखा है, इस फैसले से वे शॉक्ड हैं। उन्हें अपनी बात रखने का मौका तक नहीं दिया गया। बोर्ड ने अपनी साख के मुताबिक काम नहीं किया।
मिस्त्री ने लिखा, टाटा संस और ग्रुप कंपनियों के स्टेकहोल्डर्स के प्रति जिम्मेदारी निभाने में डायरेक्टर्स विफल रहे और कॉरपोरेट गवर्नेंस का कोई ख्याल नहीं रखा गया।
कॉरपोरेट स्ट्रैटजी नहीं होने के आरोप के जवाब में मिस्त्री ने कहा कि टाटा संस बोर्ड को उन्होंने 2025 तक की स्ट्रैटजी सौंप दी थी।
मिस्त्री ने कहा, उन्होंने शुरुआत में रतन टाटा और लॉर्ड भट्टाचार्या का ग्रुप को लीड करने का ऑफर ठुकरा दिया था, लेकिन कैंडिडैट्स नहीं होने चलते उन्हें आगे लाया गया।
साथ ही यह भरोसा दिया गया था कि उन्हें काम करने की पूरी फ्रीडम होगी। इसमें रतन टाटा की भूमिका सलाहकार और गाइड की होगी।
लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अप्वाइंटमेंट के बाद टाटा ट्रस्ट ने एसोसिएशंस के आर्टिकल में संशोधन किया। इसमें ट्रस्ट, टाटा संस बोर्ड और चेयरमैन के बीच इंगेजमेंट के टर्म को बदला गया।
0 comments:
Post a Comment