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CM शिवराज ने कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में कहा- रिजल्ट तो देना पड़ेगा, वरना बाहर हो जाओगे

भोपाल : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमिश्नर-कलेक्टर कॉन्फ्रेंस में मैदानी अधिकारियों से दो-टूक कहा कि रिजल्ट तो देना पड़ेगा, वरना बाहर हो जाओगे। हर अधिकारी की परफार्मेंस को सीआर में दर्ज किया जाएगा। जो जिले फ्लैगशिप योजनाओं में पिछड़े हैं, वे अपना प्रदर्शन सुधारें।
 भोपाल के नर्मदा भवन में शुरू हुई कॉन्फे्रंस में इंदौर कलेक्टर पी नरहरि की सीएम हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों के निराकरण को लेकर पीठ थपथपाई गई, तो बाकी जिलों को इसकी देखा-देखी करने को कहा गया।
 मुख्यमंत्री ने बिना किसी औपचारिक भाषण की जगह प्रजेंटेशन शुरू करा दिया। सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा के दौरान इंदौर को शिकायतों के निपटारे में अव्वल पाया गया।
स्वच्छता मिशन की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजराज की तरह काम हो। वहीं, कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने बालाघाट जिला पंचायत के सीईओ की शिकायत की। वे अवकाश में होने से बैठक में नहीं आए।
 सतना और अशोकनगर के सीईओ को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए। नगरीय विकास मंत्री माया सिंह ने दतिया कलेक्टर के काम की तारीफ की।
भिंड कलेक्टर के नवाचार को सराहा गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि केश शिल्पी योजना का लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में भी दें। कलेक्टरों से परंपरागत रिक्शों की जगह ई-रिक्शे चलाए जाएं। 
एक रुपए किलो में गेहूं और चावल देने से काम नहीं चलेगा, बाकी योजनाओं का भी लाभ लोगों को मिलना चाहिए। जिलों का हर काम अब परफार्मेंस के आधार पर होगा।
जमीन आवंटन पर राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि रीवा सबसे आगे है। इस पर रीवा कमिश्नर एस के पाल बोले कि कमिश्नरी वाले जिले में कमिश्नर अलाटमेंटट करता है। इतना सुनते ही बैठक में ठहाके लग गए। 
सूत्रों के मुताबिक स्वच्छता मिशन के प्रजेंटेशन में जब लक्ष्य से पिछड़ने की बात आई तो सतना कलेक्टर ने कहा कि हम इसे हासिल कर लेंगे।
 अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास राधेश्याम जुलानिया ने इस पर शंका जाहिर करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि ये हो पाएगा। 
 सतना जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बैठक में नहीं पहुंचे। बताया गया कि उन्हें बैठक में हाजिर होने संबंधी पत्र नहीं मिला। अशोकनगर सीईओ को भी लक्ष्य से पीछे चलने पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए।
राजस्व मामलों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को जिलों का औचक निरीक्षण करने के फिर से निर्देश दिए। लोगों से मिलकर पूछें कि योजनाओं का लाभ मिल रहा है या नहीं।
 प्राकृतिक आपदा की राहत बांटने में धार, ग्वालियर, बालाघाट, डिंडौरी और टीकमगढ़ में देरी की बात बैठक में सामने आई। इसको लेकर अधिकारियों को फटकार लगाई गई।
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