शारदीय नवरात्र का आरम्भ आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 1 अक्टूबर 2016 दिन शनिवार को प्रारम्भ हो रहा है।
शारदीय नवरात्र आम जनमानस के लिए इस बार उत्तमफल देने वाला साबित होगा।
द्वितीया तिथि की वृद्धि होने से इस बार नवरात्र 10 दिनों का है। यह संयोग चार शतक पूर्व बना था। जो अति उत्तम संयोग है। इस संवत्सर का राजा शुक्र के होने के कारण मां की अराधना अति शुफलदायक होगी।
देवी का दिन सोमवार और शुक्रवार को ही माना जाता है। इसमें भी भगवती पूजन के लिए सोमवार का विशेष महत्व है।
नवरात्र के पहले दिन हस्त नक्षत्र एवं ब्रह्म योग नवरात्र के शुभफल को बढ़ा देते हैं। शुक्र की अधिष्ठात्री देवी हैं माता जगदम्बा है और शुक्र धन वैभव संपन्नता का प्रतिनिधि ग्रह है।
ज्योतिर्विद ने बताया कि ग्रहों की स्थिति के अनुसार बहुत अच्छी स्थिति बन रही है। चूंकि शुक्र की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा हैं। अतः इन नवरात्र शुक्र की असीम कृपा माता के भक्तों को मिलेगी क्योंकि शुक्र पूरे नवरात्र के दौरान स्वगृही तुला राशि में विराजमान रहेगा।
पूरे नवरात्र मंगल धनु राशि में है जो अत्यंत शुभकारी है। धनु राशि में मंगल उच्चाभिलाषी मित्र गृही होकर बैठा है मंगल की यह स्थिति नौकरी-पेशा वालों के लिए और पुलिस फोर्स के लिए बेहतर समय होगा और देश में आयुध से सम्बंधित नए समझौते हो सकते है।
शुक्र का पुरे नवरात्र स्वगृही होना महिलाओं की स्थिति एवं वर्चस्व में वृद्धि का भी संकेत है। अतः इस नवरात्र महिलाएं अगर माता का व्रत, पूजन पूर्ण मनोयोग से करें तो निश्चित ही उनके सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होगी।
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