मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में अब महिलाओं को भी एंट्री मिलेगी. शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया.
इसके साथ ही अब महिलाएं दरगाह में चादर चढ़ा सकेंगी. नौ जुलाई को दो जजों की बेंच में मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी. जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है.
याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की. नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था.
इसके साथ ही अब महिलाएं दरगाह में चादर चढ़ा सकेंगी. नौ जुलाई को दो जजों की बेंच में मामले में आखिरी सुनवाई हुई थी. जस्टिस वीएम कनाडे और जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे की खंडपीठ मामले की सुनवाई कर रही है.
याचिकाकर्ता जाकिया सोमन, नूरजहां सफिया नियाज की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव मोरे ने हाई कोर्ट में पैरवी की. नियाज ने अगस्त 2014 में अदालत में याचिका दायर कर यह मामला उठाया था.
याचिकाकर्ता के वकील राजू मोरे ने अदालत के फैसले की जानकारी देते हुए कहा, 'कोर्ट ने महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा लिया है. अदालत ने इसे असंवैधानिक माना है.
दरगाह ट्रस्ट ने कहा है कि वो हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.'दूसरी ओर, एमआईएम के हाजी रफत ने कहा कि हाई कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए था, लेकिन अब जब उसने फैसला दिया है तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
उन्होंने हाई कोर्ट से सूफी संत हाजी अली के मकबरे तक महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी. अदालत ने दोनों पक्षों को आपसी सहमति से मामला सुलझाने को भी कहा, लेकिन दरगाह के अधिकारी महिलाओं को प्रवेश नहीं करने देने पर अड़े हुए हैं.
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