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मप्र विधानसभा : विशेष सत्र में पास हुआ GST

भोपाल।  जीएसटी के लिए संविधान में हो रहे 122वें संशोधन के लिए संसद के दोनों सदनों में पारित विधेयक को आज मप्र विधानसभा के विशेष सत्र में प्रस्तुत किया गया।
 सदन में करीब 2 बजे जीएसटी बिल का संकल्प सर्वसम्मति से पारित हो गया। इसके पहले विशेष सत्र में दिवगंत पूर्व विधायकों को श्रद्धांजलि अर्पित किए जाने के बाद सदन के पटल पर रखा गया और चर्चा की शुरूआत विपक्षी पार्टी की ओर से विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह ने की।
 उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे देश की विकास दर तत्काल डेढ़ फीसदी तक बढ़ जाएगी।
सत्र के प्रारंभ में पूर्व विधायक रामचरित्र, मूल सिंह और उत्तमचंद खटीक को श्रद्घांजलि दी गई। इसके बाद विधि एवं विधायी कार्य मंत्री रामपाल सिंह ने संसद के दोनों द्वारा पारित संविधान (122वें संशोधन) विधेयक 2014, लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाहियां व उक्त संशोधन के अनुसमर्थन के लिए प्राप्त लोकसभा सचिवालय की सूचना विधानसभा के पटल पर रखी।
 इस बीच कांग्रेस की ओर से प्रतिपक्ष के नेता बाला बच्चन, रामनिवास रावत ने अपनी सीट से उठकर प्रदेश में बाढ़ के कारण बने हालात पर सदन में चर्चा कराने की मांग की।
बच्चन ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने पत्र भी लिखा और कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सीधे भी इस मुद्दे को उठाने के लिए औपचारिक सूचनाएं दी हैं।
 कांग्रेस विधायकों की इस मांग को विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीताशरण शर्मा ने अस्वीकार कर दिया और कार्यमंत्रणा समिति द्वारा किन मुद्दों पर सत्र में चर्चा होगी, उसके फैसलों का हवाला भी दिया।
विधेयक पर वित्त मंत्री जयंत मलैया ने संकल्प का प्रस्ताव पेश किया। उन्होंने कहा कि देश में एकीकृत बाजार विकसित होगा। ई-कॉमर्स के कारण बाजार को जो नुकसान हो रहा है, वह नियंत्रित होगा।
 कर प्रशासन करने वाले अधिकारियों को कर निर्धारण, कर वापसी जैसे कामकाज करने का समय मिलेगा। जीएसटी कौंसिल के बनने के बाद उसके फैसलों को राज्यों को मानना होगा। प्राकृतिक आपदा पर अतिरिक्त करारोपण भी कौंसिल कर सकेगी।
कांग्रेस की ओर से विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह ने चर्चा की शुरूआत की और कहा कि उन्हें इस विधानसभा में पहली बार बोलने का अवसर मिला है। उन्होंने जीएसटी को क्रांतिकारी कर प्रणाली बताते हुए कहा कि 160 देशों में वस्तु और सेवा पर एक कर लागू है।
 विकसित देशों में 20 से लेकर 30 सालों से यह कर प्रणाली लागू है लेकिन हमारे यहां इसके लिए संविधान संशोधन विधेयक को लंबी यात्रा पूरी करने में दस साल लग गए और अभी इसे और सफर तय करना है। 
उन्होंने जीएसटी के लिए बनाई जाने वाली कौंसिल के फैसलों को राज्यों को मानने की अनिवार्यता के लिए उसे संवैधानिक संस्था का दर्जा देने की मांग की और कहा कि इसके बिना वह दंतविहीन रह जाएगी।
अभी यह प्रावधान है कि उसकी अनुशंसाएं राज्य माने या न माने उसके ऊपर निर्भर रहेगा। इस पर वित्त मंत्री मलैया ने कहा कि इसके लिए ऐसा तंत्र विकसित किया जाएगा जिससे कौंसिल की अनुशंसाओं को राज्यों को मानना जरूरी हो जाएगा।

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