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रक्षा बंधन पर भद्रा का साया नहीं, कभी भी बांधिए भाई की कलाई पर राखी

भाई-बहन के स्नेह का पर्व रक्षा बंधन पर भद्रा का साया नहीं पड़ेगा। इसके चलते 18 अगस्त गुरुवार को पूरे दिन कई मंगलकारी मुहूर्त में बहन भाई की कलाई पर स्नेह की डोर बांध सकेंगी। 
तीन साल बाद ऐसा मौका आया है। इस बार श्रावणी पूर्णिमा 17 अगस्त को रात 10.27 बजे से अगले दिन 18 अगस्त को रात 8.53 बजे तक होगी।
 इससे पहले भद्रा 17 अगस्त को 4.27 बजे शुरू होगी और 18 को सुर्योदय से पहले 3.42 बजे समाप्त हो जाएगी। पं. ओम वशिष्ठ के अनुसार 2013 के बाद यह स्थिति बन रही है जब पर्व पूर्णत: भद्रा से मुक्त है।
ज्योर्तिविद् धर्मेंद्र शास्त्री के अनुसार इस बार पर्व पर मंगलकारी श्रीवत्स और गौरी योग बनेगा। पर्व के दिन दोपहर 12 से 3 बजे तक लाभ व अमृत और शाम को 4.30 से 9 बजे तक शुभ, अमृत और चर की चौघड़िया में राखी बांधी जा सकती है।

ज्योर्तिविद् देवेंद्र कुशवाह के मुताबिक भद्रा को सूर्यदेव की पुत्री और शनिदेव की बहन बताया गया है। शनि की तरह इसका स्वभाव क्रूर बताया गया है। इसके उग्र स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ब्रह्म देवता ने काल गणना में प्रमुख स्थान दिया है। 

इसका समय 7 से 13 घंटे 20 मिनट तक रहता है। इस दौरान राखी बांधना और होलिका दहन निषेध माना गया है। इसके साथ ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हंै।

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