नई दिल्ली: कैबिनेट ने नए सरोगेसी बिल को मंजूरी दे दी है. इसके तहत कारोबारी सरोगेसी पर पूरी तरह रोक लगाने की बात है. साथ ही सरोगेसी के मामलों की निगरानी के लिए एक बोर्ड बनाने का प्रस्ताव भी है.
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार की अपनी बैठक में सरोगेसी बिल पर मुहर लगाकर इसके नाम पर चलने वाले कारोबार पर पूरी तरह रोक लगा दी है.
सरोगेसी की इजाजत है लेकिन तभी जब लगे कि किसी शादीशुदा दंपति के सामने इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है और वह मेडिकली अनफिट हैं. अविवाहित और समलैंगिक दंपतियों को सरोगेसी की इजाजत नहीं होगी.
इस नए बिल में कहा गया है कि किसी महिला को एक ही बार सरोगेसी की इजाजत होगी. अविवाहित महिला को यह इजाजत भी नहीं होगी.
सरोगेसी के लिए पुरुष की उम्र पुरुष 26 से 55 के बीच हो और महिला 23 से 50 साल के बीच की हो. शादी के पांच साल बाद ही इसकी इजाजत होगी और यह काम रजिस्टर्ड क्लीनिकों में ही होगा.
नए कानून में सरोगेसी पर निगरानी के लिए बोर्ड बनाने की बात है और कानून तोड़ने पर सख्त सजा का कायदा भी.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक बोर्ड के अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री होंगे और तीन महिला सांसद बोर्ड की सदस्य नियुक्त होंगी.
सुषमा स्वाराज ने कहा कि सरोगेसी कुछ सेलेब्रिटीज़ के लिए एक शौक बन गया है और जिनके पास बेटे और बेटियां हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनकी पत्नियां प्रिगनेन्सी नहीं चाहती हैं. सरकार आगे से इसकी इजाजत नहीं देगी.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने इस विधेयक को संसद में पेश करने को अनुमति दे दी है. मंत्रियों के एक समूह ने हाल में इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी तथा इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा था.
मंत्रियों के समूह का गठन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से किया गया था. स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के अलावा वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर भी जीओएम में शामिल थीं.
सरकार ने हाल में स्वीकार किया था कि वर्तमान में किराये की कोख संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र नहीं होने के चलते ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में किराये की कोख के जरिए गर्भधारण के मामले हुए, जिनमें शरारती तत्वों द्वारा महिलाओं के संभावित शोषण की आशंका रहती है.
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार की अपनी बैठक में सरोगेसी बिल पर मुहर लगाकर इसके नाम पर चलने वाले कारोबार पर पूरी तरह रोक लगा दी है.
सरोगेसी की इजाजत है लेकिन तभी जब लगे कि किसी शादीशुदा दंपति के सामने इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है और वह मेडिकली अनफिट हैं. अविवाहित और समलैंगिक दंपतियों को सरोगेसी की इजाजत नहीं होगी.
इस नए बिल में कहा गया है कि किसी महिला को एक ही बार सरोगेसी की इजाजत होगी. अविवाहित महिला को यह इजाजत भी नहीं होगी.
सरोगेसी के लिए पुरुष की उम्र पुरुष 26 से 55 के बीच हो और महिला 23 से 50 साल के बीच की हो. शादी के पांच साल बाद ही इसकी इजाजत होगी और यह काम रजिस्टर्ड क्लीनिकों में ही होगा.
नए कानून में सरोगेसी पर निगरानी के लिए बोर्ड बनाने की बात है और कानून तोड़ने पर सख्त सजा का कायदा भी.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के मुताबिक बोर्ड के अध्यक्ष स्वास्थ्य मंत्री होंगे और तीन महिला सांसद बोर्ड की सदस्य नियुक्त होंगी.
सुषमा स्वाराज ने कहा कि सरोगेसी कुछ सेलेब्रिटीज़ के लिए एक शौक बन गया है और जिनके पास बेटे और बेटियां हैं वे भी सरोगेसी का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनकी पत्नियां प्रिगनेन्सी नहीं चाहती हैं. सरकार आगे से इसकी इजाजत नहीं देगी.
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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने इस विधेयक को संसद में पेश करने को अनुमति दे दी है. मंत्रियों के एक समूह ने हाल में इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी थी तथा इसे अंतिम मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा था.
मंत्रियों के समूह का गठन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से किया गया था. स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के अलावा वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर भी जीओएम में शामिल थीं.
सरकार ने हाल में स्वीकार किया था कि वर्तमान में किराये की कोख संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के लिए कोई वैधानिक तंत्र नहीं होने के चलते ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों सहित विभिन्न क्षेत्रों में किराये की कोख के जरिए गर्भधारण के मामले हुए, जिनमें शरारती तत्वों द्वारा महिलाओं के संभावित शोषण की आशंका रहती है.
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