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टाइगर एक्‍सप्रेस : हनीमून कपल्‍स की पहली पसंद बनी

 आपकी नई-नई शादी हुई हो, और आप हनीमून पर कहीं जाना चाहें तो आपको एक बेहतर माहौल की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आपको हरा-भरा घना जंगल मिले, शेरों की दहाड़ सुनाई दे, झरने हों और नदी में नाव की सैर करने को मिले तो मजा आ जाएगा। 

आईआरसीटीसी की लग्‍जरी ट्रेन टाइगर एक्‍सप्रेस ऐसा ही बेहतरीन मौका लेकर आयी है। आईआरसीटीसी की अर्ध लग्जरी ट्रेन ने MP के एक से एक बेहतरीन वन्यजीवों का अनुभव प्राप्त करने के लिए 24 प्रकृति प्रेमी यात्रियों के साथ पर्यावरण दिवस पांच जून को एक यात्रा शुरू की। 

 टाइगर एक्‍सप्रेस ने 10 जून को इस ऋतु की अपनी पहली और अंतिम यात्रा एक ‘ट्रायल रन’ के रूप में पूरी की।  कान्हा और बांधवगढ़ के जंगलों में यात्रियों ने अन्य चीजों का आनंद उठाया।

 इसमें  शानदार बाघ और अन्य वन्य जीवों, जबलपुर के निकट बेधाघट पर संगमरमर के चट्टानों के बीच नर्मदा नदी में नाव की सैर और एक विशाल झरना में धारा के विपरीत कूदने की कोशिश कर रहीं और सफल हो रहीं मछलियों के दीदार शामिल है।

 अगले अक्टूबर महीने में पांच दिन और छह रात्रि के पैकेज के साथ यह ट्रेन फिर यात्रा शुरू करेगी। 

इस बीच अधिकारीगण इसकी लागत की गणना कर रहे हैं, जो दूसरी यात्रा में कम हो सकती है। एक अन्‍य हनीमून कपल अभिमन्‍यू और पूजा के अनुसार यह यात्रा बहुत मजेदार है। हनीमून कपल्‍स को तो जरूर इस ट्रेन का आनंद उठाना चाहिए।

अपने पुत्र शौर्य के साथ टाइगर एक्‍सप्रेस से यात्रा करने वाले रामाकांत गर्ग ने कहा, “मैंने हर स्थलों का आनंद उठाया। वन्यजीवों के प्रेम की संस्कृति विकसित होनी चाहिए और यह टाइगर एक्‍सप्रेस उस दिशा में एक कदम है। वन्यजीवों का अनुभव प्राप्त करने की चाहत में पहली बार भारत की यात्रा पर आए एक अवकाश प्राप्त अमेरिकी इंजीनिययर स्टीवेन फिप्स ने कहा,आपकी आंखों में देख रहे बाघ को देखने का वर्णन करने के लिए शब्द नहीं हैं।
 पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदीकरण की जरूरत है और यह ट्रेन एक अच्छे काम के लिए है।आईआरसीटीसी के एक अधिकारी ने कहा, “हमलोग लागत पर काम कर रहे हैं। यह अगले ऋतु में कम हो सकती है। यह जल्दबाजी में निर्णय लिया गया था और हमलोगों को दो महीने के भीतर पूरी ट्रेन की व्यवस्था करनी पड़ी थी।
 दरें अधिक लगती हैं, लेकिन इसके साथ राष्ट्रीय उद्यान के निकट लग्जरी रिसॉर्ट्स में ठहराने, सड़क परिवहन के लिए वातानुकूलित वाहन, स्वादिष्ट भोजन, तीन सफारियों और बेधाघाट पर पर्यटन स्थलों के भ्रमण कराने की सुविधाएं भी शामिल थीं, जिससे यह लागत उचित प्रतीत होती है।
 हालांकि यात्रा पैकेज का दुखद पक्ष भी है। इसके तहत समाज के केवल उच्च वर्ग और उच्च मध्य वर्ग को ही लक्षित किया गया है। भारतीय रेलवे के साथ वन्यजीवों को देखने के योग्य अन्य लोगों के वहन करने लायक भी इसे बनाना चाहिए।
दिल्ली के एक अवकाश प्राप्त प्रोफेसर एस.के. सिंह ने कहा, “यात्रा अच्छी थी, लेकिन इसका प्रचार-प्रसार और होनी चाहिए। वन्यजीव संरक्षण का संवेदीकरण होना चाहिए। मैं समझता हूं कि यह ट्रेन नेक कार्य कर रही है।” मानसून खत्म होने पर राष्ट्रीय उद्यान के फिर से खुलने के बाद यह ट्रेन अक्टूबर महीने से नियमित रूप से हर माह यात्रा पर निकलेगी।
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