मथुरा. मथुरा के जवाहर बाग में हुई हिंसा के मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव के मारे जाने की खबर है। पुलिस इस बारे में जल्द एलान कर सकती है। इस बीच, मथुरा पुलिस पर हमले के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं। जवाहर बाग में अतिक्रमण हटाने आई पुलिस टीम पर भीड़ ने गुरुवार शाम हमला कर दिया। इसमें एक एसपी की जान चली गई। 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। फायरिंग हुई, ग्रेनेड फेंके गए और तलवारें चलीं।
पुलिस पर हमले में भूमिका एक गुट की है जिससे जुड़े लोग खुद को सत्याग्रही बताने का दावा करते हैं। गुट का लीडर रामवृक्ष यादव है। वह जवाहर बाग की 270 एकड़ जमीन पर कब्जा कर समानांतर सत्ता चलाने की कोशिश में था। बताया जा रहा है कि वह घायल है और फरार है।
जय गुरुदेव के निधन के बाद उनकी विरासत संभालने के लिए तीन गुटों पंकज यादव, उमाकांत तिवारी और रामवृक्ष यादव में टकराव हुआ। इस बीच पंकज यादव उत्तराधिकारी बना। 17 जून 2011 को रामवृक्ष के गुट ने जय गुरुदेव आश्रम पर हमला कर दिया, लेकिन उसे वापस लौटना पड़ा।
रामवृक्ष यादव के खिलाफ पहले से हत्या की कोशिश, जमीन कब्जा करने सहित आठ मुकदमे चल रहे हैं। उसने एक रुपए लीटर में पेट्रोल-डीजल देने, 12 रुपए तोला सोना और गोल्ड करंसी चलाने जैसी अजीब मांगें रखते हुए मध्य प्रदेश के सागर से 2014 में अभियान शुरू किया।
इससे जुड़े लोगों को 'सत्याग्रही' नाम दे दिया। ये कथित सत्याग्रही दिल्ली जाकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन करने वाले थे। लेकिन करीब पांच हजार लोग मथुरा के जवाहर बाग में 18 अप्रैल 2014 को जम गए।
दिल्ली न जाकर मथुरा में जमे इन कथित सत्याग्रहियों ने सरकारी जवाहर बाग पर कब्जा कर लिया। वहां आम, आंवला, बेर के बाग उजाड़ दिए। सरकारी बाग में 18 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाया। उन्होंने सरकारी स्टोर पर कब्जा कर लिया। तीन लाख रुपए की बिजली का इस्तेमाल कर लिया और कई बोरिंग पर कब्जा जमा लिया।
नालियां और वॉकिंग ट्रैक उखाड़कर वहां टॉयलेट बना लिए थे और रहने का इंतजाम भी कर लिया था। बोरिंग से पानी लेने आने वाले आसपास के लोगों से ये मारपीट करते थे।
पास ही कलेक्टोरेट और आसपास के दफ्तरों में आने वाले लोगों से भी ये मारपीट करते थे।लोगों से जबर्दस्ती जय हिंद-जय सुभाष का नारा लगवाते थे। जो ठीक से नारा नहीं लगाता था, उसके साथ मारपीट भी करते थे।
इन लोगों ने जय गुरुदेव का डेथ सर्टिफिकेट देने की मांग के साथ अपना प्रदर्शन शुरू किया था। रामवृक्ष यादव ने 2014 में जिला प्रशासन से दो दिन के धरना की परमिशन मांगी। इसके बाद तकरीबन 5 हजार समर्थकों के साथ उसने जवाहरबाग में कब्जे की शुरुआत की।
शुरु में यहां पर झोपड़ियां बनाईं, इसके बाद धीरे-धीरे 270 एकड़ में अपनी सत्ता चलाने लगा। वह इतना ताकतवर हो गया कि प्रशासन भी उसका कुछ नहीं कर पा रहा था।
पिछले महीने जब एक सरकारी अफसर जांच के लिए जवाहर बाग के अंदर गया, तो उसे बंधक बना लिया गया था। पिछले दो महीने से प्रशासन इस जमीन को खाली करवाने की कोशिश कर रहा था। हाईकोर्ट ने भी प्रशासन को जवाहरबाग खाली कराने का आदेश दिया। बताया जा रहा है कि इस दौरान वहां शूटर और अपराधी भी रहने लगे।
हैंड ग्रेनेड, हथगोला, रायफल, कट्टे और कारतूस छिपाकर जुटाए गए थे। मथुरा के डीएम राजेश कुमार ने बताया कि उपद्रवियों के पास हैंड ग्रेनेड, ऑटोमैटिक राइफलें थीं। वे पेड़ पर चढ़कर फायरिंग कर रहे थे। वहां एलपीजी सिलेंडरों में आग लग गई।
रामवृक्ष यादव के शूटरों ने पेड़ पर चढ़कर पुलिस पर फायरिंग कर दी। इसमें एसओ और एएसपी सिटी के सिर में गोली लगी और दोनों की मौत हो गई। एडीजी दलजीत सिंह चौधरी ने बताया कि रामवृक्ष यादव ही पुलिस पर हमले का नेतृत्व कर रहा था।
गुरुवार को पुलिस ने जवाहरबाग के पीछे की दीवार गिराकर कहा कि जिन्हें जाना है, वे इस रास्ते से जा सकते हैं। इसके बाद करीब दो हजार लोग यहां से चले गए। हालांकि, इसके बाद भी तीन हजार लोग वहां पर थे। इसके बाद पुलिस ने मेन गेट के पास की दीवार तोड़ दी, जिससे अगले दिन पूरे जगह को खाली करवाया दिया जाए।
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