केंद्र सरकार ने बुधवार 1 जून से एक नया टैक्स भी लगाना शुरू कर दिया है. 'गूगल टैक्स' नाम के इस कर को लेकर कई भ्रांतियां भी फैल चुकी हैं. हालांकि यह जानना बहुत जरूरी होगा कि गूगल टैक्स के दायरे में केवल गूगल ही नहीं आएगी.
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेेशन के मुताबिक पहली जून से द डायरेक्ट टैक्स डिस्प्यूट रिजोल्यूशन स्कीम 2016 एंड इक्वलाइजेशन लेवी की वसूली शुरू कर दी जाएगी.
यह इक्वलाइजेशन लेवी ही दरअसल गूगल टैक्स के रूप में प्रचारित किया गया है. गूगल टैक्स यानी इक्वलाइजेशन लेवी नामक यह कर पहली जून से उन कंपनियों पर लगना शुरू हो गया है जो अपने विज्ञापन दिखाने के लिए सिर्फ ऑनलाइन माध्यम यानी वेबसाइटों को ही चुनती हैं.
ऑनलाइन विज्ञापन के लिए दी जाने वाली रकम का 6 फीसदी इन कंपनियों को अब टैक्स के रूप में सरकार को देना पड़ेगा. इसका मतलब कि अब जो भी भारतीय कंपनी गूगल, फेसबुक, याहू, अलीबाबा, अमेजॉन, इंस्टाग्राम आदि जैसी विदेशी कंपनियों को ऑनलाइन विज्ञापन जारी करेगी, उसे छह फीसदी कर देना होगा.
इस कर के लगाने से जहां सरकार को ऑनलाइन विज्ञापन देने वाली कंपनियों के बारे में ज्यादा जानकारी मिल सकेगी, वहीं गूगल, फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियों से भी सरकार मुनाफा कमा सकेगी.
किसी सरकार द्वारा पहली बार इस तरह का कदम उठाया गया है जिससे ऑनलाइन मुनाफा कमाने वाली कंपनियों से टैक्स वसूला जा सके. इस वर्ष के लिए जारी केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी घोषणा की थी.
मौजूदा वक्त में यह इक्वलाइजेशन लेवी केवल ऑनलाइन विज्ञापनों के लिए ही शुरू किया गया है लेकिन आने वाले वक्त में इसका दायरा बढ़ाने की सरकार की योजना है.
- टैक्स उन्हीं कंपनियों पर लगेगा जिनका भारत में स्थायी प्रतिष्ठान (पर्मानेंट इस्टैब्लिशमेंट) नहीं है.
- कुछ निर्धारित ऑनलाइन सेवाएं लेने के लिए अगर एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान किया हो तो ही यह कर चुकाना पड़ेगा.
- सीधे शब्दों में अगर कोई व्यक्ति या संस्था किसी गैर भारतीय तकनीकी कंपनी को भुगतान करती है तो पूरी रकम पर इक्वलाइजेशन लेवी के रूप में इसे 6 फीसदी टैक्स रोके रखना होगा.
- सरकार चाहती है कि ऑनलाइन विज्ञापन दाता गूगल-फेसबुक जैसी ऑनलाइन सेवा प्रदाता कंपनी को भुगतान की कुल रकम का 94 फीसदी चुकाएं और 6 फीसदी सरकार के खाते में जमा करें.
- ऐसा न करने पर सरकार इस पूरे भुगतान की रकम को टैक्सेबल प्रॉफिट (करयोग्य मुनाफा) के रूप में कैल्कुलेट नहीं करेगी और परिणामस्वरूप उनकी टैक्सेबल इनकम बढ़ जाएगा जिससे ज्यादा टैक्स देना पड़ेगा.
- इससे ऐडसेंस के जरिये कमाई करने वालों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
- यह देखने वाली बात यह है कि क्या गूगल-फेसबुक जैसी कंपनियां 94 फीसदी रकम लेकर 100 फीसदी की बिलिंग करेंगी या फिर 106 फीसदी लेकर 6 फीसदी सरकार को देंगी.
- अगर कंपनियां विज्ञापनदाता से ज्यादा भुगतान (106 फीसदी) लेती हैं तो नुकसान विज्ञापनदाता यानी भारतीय व्यक्ति या कंपनी को होगा
- जबकि अगर गूगल-फेसबुक 100 फीसदी भुगतान लेकर 6 फीसदी सरकार को देती हैं तो इनका मुनाफा कम होगा.
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