भारत में कई ऐसी जगह हैं, जो कई रहस्यमयी चमत्कारों से भरी हैं। ऐसी ही एक जगह है, वृंदावन का निधि वन। जिसके बारे में मान्यता है कि यहां आज भी हर रात श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रास रचाते हैं।
यही कारण है कि हर शाम आरती के बाद निधिवन को बंद कर दिया जाता है, उसके बाद वहां कोई नहीं रहता। यहां तक कि दिनभर निधिवन में रहने वाले पशु-पक्षी भी शाम होते ही निधिवन को छोड़कर चले जाते हैं।
शाम होते ही सभी लोगों को यहां से बाहर निकाल कर निधिवन को बंद कर दिया जाता है, क्योंकि इस जगह को लेकर एक मान्यता प्रचलित है कि हर रात यहां भगवान श्रीकृष्ण आते हैं और गोपियों के साथ रास रचाते हैं। इतना ही नहीं जो भी मनुष्य रासलीला देखने की कोशिश करता है, वह या तो पागल हो जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है।
यह बात जानते हुए भी कई लोगों ने निधिवन की झाडियों में छुपकर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहा, परिणाम के तौर पर या तो वे अपना मानसिक संतुलन खो बैठे या उनकी मृत्यु ही हो गई।
निधिवन की एक अन्य खासियत यहां के तुलसी के पेड़ हैं। निधिवन में तुलसी का हर पेड़ जोड़े में है। इसके पीछे यह मान्यता है कि जब राधा-कृष्ण वन में रास रचाते हैं तब यही जोड़ेदार पेड़ गोपियां बन जाती हैं। जैसे ही सुबह होती है तो सब फिर तुलसी के पेड़ में बदल जाती हैं।
निधिवन के अंदर ही रंग महल नाम का एक छोटा सा मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को लेकर भी यह मान्यता प्रचलित है कि हर रात श्रीकृष्ण देवी राधा के साथ यहां आराम करते हैं। इसलिए रंग महल में देवी राधा और भगवान कृष्ण के लिए शाम होने से पहले चंदन का पलंग, पानी का लोटा, देवी राधा के लिए श्रृंगार का सामान, प्रसाद, पान आदि रखा जाता है।
पूरे मंदिर को सजा देने के बाद रात को निधिवन के साथ ही मंदिर के पट भी बंद कर दिए जाते हैं। सुबह पांच बजे जब मंदिर के पट खोले जाते हैं तो सारा सामान बिखरा हुआ, पान खाया हुआ, पानी का लोटा खाली मिलता है।
निधिवन के पेड़ भी बड़े अजीब हैं, हर जगह पेड़ की शाखाएं ऊपर की ओर बढ़ती हैं, लेकिन निधिवन के पेड़ों की शाखाएं नीचे की ओर बढ़ती हैं। यहां के पेड़ इतने घने हैं कि रास्ता बनाने के लिए इन पेड़ों को डंडों के सहारे रोक गया है।
निधिवन में स्थित विशाखा कुंड के बारे में कहा जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण सखियों के साथ रास रचा रहे थे, तभी विशाखा नाम की एक गोपी को प्यास लगी। तब गोपी की प्यास बुझाने के लिए भगवान ने अपनी बंसी से एक कुंड बनाया था। तब से उस गोपी के नाम से ही यह कुंड प्रसिद्ध हो गया।
निधिवन में ही बंसी चोर राधा रानी का भी मंदिर है। यहां राधा रानी के बंसी चोर नाम से प्रसिद्ध होने के पीछे भी एक कहानी है। कहानी के अनुसार, एक बार देवी राधा भगवान कृष्ण से नाराज हो गईं, क्योंकि भगवान अपना पूरा समय बंसी बजाते हुए ही बीताते हैं।
बंसी में इतना खो जाते हैं कि देवी राधा की ओर ध्यान ही नहीं देते। इस बात से नाराज देवी राधा ने भगवान की बंसी चुरा ली थीं और इसी जगह छुपाई थी। तभी से यह मंदिर बंसी चोर राधा रानी के नाम से प्रसिद्ध हैं।
0 comments:
Post a Comment