2002 गुजरात में हुए दंगे के दौरान गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड मामले में 14 साल बाद फैसला आया है। SIT कोर्ट ने 69 लोगों को जिंदा जलाने के मामले में 24 लोगों को दोषी ठहराया जबकि 36 को दोषमुक्त कर दिया।
इस मामले में दिवंगत पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने कहा कि अभी पूरा इंसाफ नहीं मिला है। कुछ लोग बरी हो गए हैं।कोर्ट ने अपने फैसले में भाजपा के बिपिन पटेल को बरी कर दिया गया है।
जबकि कोर्ट ने दोषी ठहराए गए 24 लोगों को अगले हफ्ते सजा सुनाने का फैसला किया है। गौरतलब हो कि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में स्थित गुलबर्ग सोसायटी में 69 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी थे। कभी इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) का भी नाम आया था, जिन्हें क्लीट चिट दे दिया गया था।
28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ गुलबर्ग सोसायटी में घुस गई और मारकाट मचा दिया। इस हमले में 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी थे। 39 लोगों के शव बरामद हुए थे जबकि 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। इस मामले की सुनवाई सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुनवाई शुरू हुई।
मामले की जांच भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में गठित एसआईटी ने शुरू की। कुल 66 आरोपी बनाए गए, जिनमें चार की मौत भी हो चुकी है। 9 अब भी जेल में हैं। कुल 338 लोगों की गवाही हुई है।
इस मामले में दिवंगत पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने कहा कि अभी पूरा इंसाफ नहीं मिला है। कुछ लोग बरी हो गए हैं।कोर्ट ने अपने फैसले में भाजपा के बिपिन पटेल को बरी कर दिया गया है।
जबकि कोर्ट ने दोषी ठहराए गए 24 लोगों को अगले हफ्ते सजा सुनाने का फैसला किया है। गौरतलब हो कि 2002 में गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में स्थित गुलबर्ग सोसायटी में 69 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी थे। कभी इस मामले में प्रधानमंत्री मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) का भी नाम आया था, जिन्हें क्लीट चिट दे दिया गया था।
28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ गुलबर्ग सोसायटी में घुस गई और मारकाट मचा दिया। इस हमले में 69 लोगों की हत्या कर दी गई थी।
इसमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री भी थे। 39 लोगों के शव बरामद हुए थे जबकि 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था। इस मामले की सुनवाई सितंबर 2009 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सुनवाई शुरू हुई।
मामले की जांच भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश में गठित एसआईटी ने शुरू की। कुल 66 आरोपी बनाए गए, जिनमें चार की मौत भी हो चुकी है। 9 अब भी जेल में हैं। कुल 338 लोगों की गवाही हुई है।
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