मुंबई. डकैत वीरप्पन के जीवन पर बनी फिल्म 'वीरप्पन' 27 मई को रिलीज़ होने वाली है। लगभग तीन दशक तक तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के जंगल में आतंक का पर्याय रहा ।
राम गोपाल वर्मा द्वारा डायरेक्ट की गई इस फिल्म में वीरप्पन के डकैत बनने से लेकर उसके एनकाउंटर होने तक की पूरी कहानी है। एक समय ऐसा था कि वीरप्पन के नाम से पुलिस से लेकर आम आदमी तक खौफ खाता था।
कूज मुनिस्वामी वीरप्पा गौड़न उर्फ़ वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में वह अवैध रूप से शिकार करने वाले गिरोह का सदस्य बन गया। कुछ सालों में ही वह जंगल का बादशाह बन गया। उसने चंदन तथा हाथीदांत से पैसा कमाया।
कहा जाता है कि उसने तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के जंगल में कुल 900 से ज्यादा हाथियों को मार डाला।
रिपोर्ट्स की माने तो वीरप्पन ने 10 साल की उम्र में हाथी का शिकार किया था, जबकि पहला मर्डर महज 17 साल की उम्र में।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पहले वीरप्पन केवल चंदन और हाथियों के दांतों की सप्लाई करता था। लेकिन उसकी दुश्मनी पुलिस और सरकार से तब हुई जब उसके भाई और बहन की हत्या हो गई थी।
कहते हैं कि बहन मैरी और भाई की हत्या के बाद उसने इसके लिए पुलिस जिम्मेदार मान लिया। यही कारण है कि वह पुलिस और अधिकारियों का अपरहण और हत्या करने लगा। बताया जाता है कि वीरप्पन 184 पुलिस और फ़ॉरेस्ट अफसरों की हत्या का जिम्मेदार था।
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