मुंबई. जासूसी का पेशा भारत में केवल मर्दों के लिए माना जाता है। लेकिन पिछले 25 सालों में 75,000 से भी अधिक मामलों को सुलझा चुकीं रजनी ने इस प्रोफेशन में एक नया मुकाम हासिल किया है। वह भारत की पहली महिला जासूस हैं।
साथ हीं उन्हें महिला जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है। वह रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेज के नाम लगातार इस फील्ड में काम कर रही हैं। उनकी इस डिटेक्टिव एजेंसी में 20 लोगों की एक टीम है।
रजनी का जन्म माहराष्ट्र के थाणे जिले में हुआ था। रजनी ने मुंबई में मराठी साहित्य की पढ़ाई की थी। रजनी के पिता सीआईडी में थे और महात्मा गांधी की हत्या के केस में उन्होंने काम किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजनी कहती हैं कि जब कॉलेज में थी, तो अपने साथ की एक लड़की को गलत संगत में जाते देखा. उसने सिगरेट, शराब पीने के साथ ही गलत लड़कों के साथ समय बिताना शुरू कर दिया था।
मैंने डिसाइड किया कि उसके घरवालों को ये बात बतानी है. इसके लिए ऑफिस से उसे गिफ्ट भेजने के बहाने उसका पता मांगा और फिर वहां पहुंच गई। उसके घरवालों को मैंने जब ये बातें बताईं तो उन्होंने यही कहा, क्या आप जासूस हो? उसी दिन मैंने सोच लिया था कि मुझे क्या करना है.'
साथ हीं उन्हें महिला जेम्स बॉन्ड भी कहा जाता है। वह रजनी पंडित डिटेक्टिव सर्विसेज के नाम लगातार इस फील्ड में काम कर रही हैं। उनकी इस डिटेक्टिव एजेंसी में 20 लोगों की एक टीम है।
रजनी का जन्म माहराष्ट्र के थाणे जिले में हुआ था। रजनी ने मुंबई में मराठी साहित्य की पढ़ाई की थी। रजनी के पिता सीआईडी में थे और महात्मा गांधी की हत्या के केस में उन्होंने काम किया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रजनी कहती हैं कि जब कॉलेज में थी, तो अपने साथ की एक लड़की को गलत संगत में जाते देखा. उसने सिगरेट, शराब पीने के साथ ही गलत लड़कों के साथ समय बिताना शुरू कर दिया था।
मैंने डिसाइड किया कि उसके घरवालों को ये बात बतानी है. इसके लिए ऑफिस से उसे गिफ्ट भेजने के बहाने उसका पता मांगा और फिर वहां पहुंच गई। उसके घरवालों को मैंने जब ये बातें बताईं तो उन्होंने यही कहा, क्या आप जासूस हो? उसी दिन मैंने सोच लिया था कि मुझे क्या करना है.'
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