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VARANASI: बिजली गिरने से टूटा 500 साल पुराने मंदिर का शिखर

वाराणसी.  उत्तर प्रदेश में रविवार को जमकर बारिश हो रही है। मेरठ में घर गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई। वहीं, शनिवार देर रात वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के पास 500 साल पुराने श्रापित रत्नेश्वर महादेव मंदिर पर बिजली गिरी। इसके कारण मंदिर का शिखर टूट गया।

 काशी महंत और ज्योतिषाचार्य शहर के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं। बटुक भैरव मंदिर के महंत जीतेन्द्र मोहन पुरी ने कहा,  देवालय पर बिजली गिरने का मतलब है, महादेव ने किसी बड़ी विपत्ति को अपनी नगरी से टाला है। यह किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा के आने का संकेत हो सकता है। वहीं, ज्योतिषाचार्य पं ऋषि दिवेदी ने कहा,  गुरु चांडाल योग बना है ज्योतिष में राहु को चांडाल और बृहस्पति को देव गुरु माना गया है। 

राहु और बृहस्पति के आसपास आने के कारण गुरु चांडाल योग बना है, जो विपत्तियों का संकेत है। वहीं शनि वृश्चिक राशि में मंगल के करीब है, जो कि प्रकृति के लिए ठीक नहीं है। मंगल डेढ़ माह किसी राशि में रहता है, इस बार वह वृश्चिक राशि में 6 माह रहेगा। शनि और मंगल एक साथ हो गए हैं, जो कि अशुभ है।

 तीर्थ पुजारी राजकुमार पांडे ने बताया, यह मंदिर 1500 में बना था और शुरू से ही एक तरफ झुका और धरती में धंसा हुआ है राजा मान सिंह के वक्त उनके एक सेवक ने मां के दूध का कर्ज चुकता करने के मकसद से महादेव का मंदिर बनवाया था।
मंदिर बनने के बाद सेवक अपनी मां को वहां ले गया और बोला कि मां तेरे दूध का कर्ज चुकता हुआ मां को पीड़ा हुई कि‍ बेटा यह मंदि‍र बनवाकर दूध का कर्ज उतारना चाहता है।

मां ने मंदिर के अंदर गए बिना बाहर से प्रणाम किया और जाने लगी, तो बेटे ने कहा- मां दर्शन कर लो मां ने जवाब दिया- बेटा, मंदिर को मुड़कर देख। बेटे ने जब पलट कर देखा तो मंदि‍र टेढ़ा हो चुका था। साथ ही जमीन में धंस गया था कहा जाता है कि‍ मां की पीड़ा श्राप में प्रकट हुई जि‍ससे ऐसी घटना हुई जि‍स मकसद से मंदि‍र बनवाया गया था, वह पूरा नहीं हुआ और बेटे पर दूध का कर्ज रह गया। मां का नाम रत्ना था, इसलिए मंदिर का नाम रत्नेश्वर महादेव पड़ गया।"
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