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देश की चुनौतियों का वैज्ञानिक शोध के जरिये समाधान निकालें : मोदी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के वैज्ञानिकों से आह्वान किया है कि वे देश की चुनौतियों का वैज्ञानिक शोध के जरिये समाधान निकालें। सरकार वैज्ञानिक संस्थानों को शोध के लिए बेहतर संसाधन एवं माहौल उपलब्ध कराएगी। मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित 103वीं राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस के सालाना समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। 

मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा कि देश का भविष्य आपके ऊपर निर्भर है। मानव कल्याण एवं देश के आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करें। उन्होंने वैज्ञानिकों से अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, ऊर्जा, सामाजिक जरूरत आदि को ध्यान में रखते हुए शोध करने का आह्वान किया। मोदी ने कहा कि सरकार केंद्र एवं राज्य की एजेंसियों की बीच वैज्ञानिक समन्वय को बेहतर बनाएगी। साथ ही वैज्ञानिक संस्थान को साइंटिफिक आॠडिट भी कराया जाएगा जिससे उनके कार्य की वास्तविक उपलब्धि का पता चलेगा। अभी तक वैज्ञानिक संस्थानों का सीएजी आडिट होता है जिसे वैज्ञानिक लंबे समय से हटाने की मांग कर रहे हैं। 

मोदी ने अपने संबोधन के दौरान बताया कि वे वैज्ञानिकों से किस प्रकार के शोध की अपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा कि शासन के संचालन के लिए सरकार ने 170 अप्लीकेशन की पहचान की है जो विकास के सभी पहलुओं से जुड़े हैं। इसी प्रकार शहरों के विकास के लिए नए टूल विकसित किए जाने की जरूरत है। कृषि क्षेत्र में काफी कुछ करने की जरूरत है। यदि हम खेतों से ज्यादा उपज लेने के उपाय तलाश जाने की जरूरत है। इसी प्रकार खेती में पानी के इस्तेमाल को कम करने तथा अनाज को और ज्यादा पोषक बनाए जाने की जरूरत है। पीएम ने वैज्ञानिकों को यह भी भरोसा दिलाया कि शोध के लिए संसाधन बढ़ाए जाएंगे। दूसरे पीएम ने वैज्ञानिक शोधों को आम लोगों की जरूरतों के साथ-साथ रणनीतिक जरूरतों के साथ भी संबद्ध किए जाने की जरूरत बताई।

पीएम ने संयुक्त राष्ट्र में हुए दो फैसलों का जिक्र किया और वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि इन विपरीत से समझे जाने वाले लक्ष्यों को हासिल करने में मदद करें। एक लक्ष्य 2030 तक गरीबी के उन्मूलन का है। वैज्ञानिकों के प्रयास से होने वाले आर्थिक विकास से ही यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। जबकि दूसरा पेरिस में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठाए गए कदमों का ऐलान है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह आर्थिक विकास भी करना है तथा पृथ्वी को बचाने का लक्ष्य भी हासिल करना है। यह विरोधाभासी लक्ष्य भी वैज्ञानिक तकनीकों से ही हासिल किया जा सकता है।
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