नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप के नाबालिग दोषी की रिहाई के बाद राज्यसभा में अटके जुवेनाइल एक्ट को लेकर सवाल उठ रहे हैं। शुक्रवार को निर्भया की मां बोलीं, ''देश चलाने वाले चाहते तो अब तक बिल पास हो गया होता।'' बता दें कि मौजूदा कानून के मुताबिक हाईकोर्ट ने नाबालिग दोषी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है।
जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन) अमेंडमेंट बिल राज्यसभा में अटका है। लोकसभा में यह बिल मई 2015 में पास कर दिया था। राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटी के पास है। क्योंकि राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के चलते रुकी हुई है।
सरकार की तरफ से साल 2002 के पुराने बिल में 42 बदलाव किए गए हैं। नया जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2014 साल 2002 के पुराने बिल की जगह लेगा। नए बिल में कहा गया है कि रेप, मर्डर और एसिड अटैक जैसे खतरनाक अपराधों में शामिल नाबालिगों के खिलाफ भी एडल्ट अपराधियों की तरह केस चलाया जा सकेगा। अभी 16 से 18 साल के अपराधियों के केस में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड फैसला करता है। सजा होने पर उन्हें करेक्शन होम में रखा जाता है।
एडल्ट क्रिमिनल्स के साथ जेल भेजे जाने से नाबालिगों पर गलत असर पड़ेगा। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने इस बिल का विरोध किया। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि रेयरेस्ट केस में जुवेनाइल क्रिमिनल की उम्र घटाने से आदिवासी और ट्राइबल कम्युनिटी के लोग ज्यादा परेशान होंगे।
राज्यसभा में कुल 241 सांसद हैं। बिल को पास कराने के लिए सरकार को 160 सांसदों की जरूरत होगी। राज्यसभा में बीजेपी के 48 सांसद हैं (एसपी और शिवसेना) मिलाकर। हालांकि कई मुद्दों पर शिवसेना और एसपी का सरकार को समर्थन करने या विरोध करने को लेकर रुख साफ नहीं है। इसके अलावा टीएमसी के 12, बीजेडी के 6, जेडीयू के 12, कांग्रेस के 67, सीपीआई-सीपीएम के 10, मनोनीत 8, एआईडीएमके के 12 और डीएमके के 4 सदस्यों के साथ 101 सदस्यों को कांग्रेस का साथ मिला हुआ है।
निर्भया गैंगरेप मामले में जुवेनाइल क्रिमिनल को रिलीज किए जाने से पीड़ित की मां आशा सिंह दुखी हैं। उन्होंने ऐसे अपराधियों के खिलाफ कड़ा कानून होने और उसे पास ना होने देने को लेकर पॉलिटीशियन को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा- कुछ तो करिए, बिल पास करिए, कानून बनाइए और हमें इंसाफ दिलाइए। उन्होंने कहा कि नेता लोग चाहते तो अब तक बिल पास हो जाता और हमें इंसाफ मिल जाता। लेकिन ना जाने ऐसे अपराधियों को रोकने के लिए बने कड़े कानून को पास करने में कितने साल लगेंगे और तब ना जाने कितनी महिलाएं ऐसे क्राइम की शिकार होंगी।
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