नई दिल्ली :राज्यसभा के 58 सदस्यों ने शुक्रवार को सभापति को एक याचिका देकर गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे बी परदीवाला के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही चलाने का अनुरोध किया है। उनके खिलाफ यह याचिका हार्दिक पटेल मामले में उनके द्वारा आरक्षण के खिलाफ की गयी कथित ‘असंवैधानिक’ टिप्पणी के कारण दी गयी है।
राज्यसभा के इन सदस्यों ने आरोप लगाया कि हार्दिक पटेल के खिलाफ विशेष आपराधिक आवेदन पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति परदीवाला ने व्यवस्था दी थी कि दो चीजों ने ‘इस देश को तबाह कर दिया या इस देश की सही दिशा में प्रगति नहीं हुई. (एक) आरक्षण और (दूसरा) भ्रष्टाचार।’
याचिका में कहा गया कि न्यायाधीश ने इस बात का भी उल्लेख किया कि ‘जब हमारा संविधान बनाया गया तो यह समझा गया कि आरक्षण दस वर्ष की अवधि के लिए रहेगा किन्तु दुर्भाग्यवश यह आजादी के 65 वर्ष बाद भी जारी है।’ सांसदों ने कहा कि दस वर्ष की सीमा राजनीतिक आरक्षण यथा केन्द्र एवं राज्य विधायिका में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों का प्रतिनिधित्व के लिए थी। शिक्षा एवं रोजगार में आरक्षण के लिए नहीं।
याचिका में कहा गया, ‘यह परेशान करने वाली बात है कि न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए नीति के बारे में संवैधानिक प्रावधानों से अनभिज्ञ हैं।’ सांसदों की याचिका में कहा गया कि चूंकि न्यायाधीश की टिप्पणी न्यायिक कार्यवाही का अंग बन गयी है, ‘इसकी प्रकृति असंवैधानिक है तथा यह भारत के संविधान के प्रति कदाचारपूर्ण व्यवहार है। इससे महाभियोग का आधार बनता है।’
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