बिहार की हार के बाद भाजपा में बड़ी उथल-पुथल मची है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा जैसे वरिष्ठ नेताओं ने मंगलवार को साझा बयान जारी कर पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि “बिहार के नतीजे बताते हैं कि दिल्ली में नाकामयाबी से पार्टी ने कोई सबक नहीं लिया है।’
बीजेपी सांसद और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी के घर पर बैठक हुई। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी शामिल हुए। वरिष्ठ नेता शांताकुमार से फोन पर बात की। इसके बाद यशवंत सिन्हा को बयान देने के लिए अधिकृत किया गया। इस बयान को लेकर पार्टी में भी हलचल तेज हो गई है। पार्टी के सचिव आरपी सिंह ने कहा कि “यह बयान मार्गदर्शक मंडल का नहीं है। सिन्हा मार्गदर्शक मंडल में नहीं हैं। वहीं, शौरी तो बीजेपी में ही नहीं हैं। लेकिन सभी नेता वरिष्ठ हैं।’ दरअसल, लोकसभा चुनावों के बाद 26 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को संसदीय बोर्ड से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी सदस्य हैं। इस बोर्ड का बीजेपी के संविधान में कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन जब यह बना था, तब कहा गया था कि पार्टी की गतिविधियों पर मार्गदर्शन लिया जाएगा। लेकिन इसकी आज तक एक भी बैठक नहीं हुई है।
बिहार में भाजपा की हार पर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हर चुनाव जीतने की तकनीक और जादू किसी के पास नहीं है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की बहुत बड़ी जीत हुई यह सच है। मगर उस जीत का श्रेय अब भी राहुल गांधी के कमजोर नेतृत्व को दिया जाता है। अखाड़े में तगड़ा पहलवान नहीं होने की वजह से तब भाजपा ‘बाहुबली’ साबित हुई।’
शिवसेना के मुखपत्र में उद्धव ने कहा, ‘बिहार में भाजपा से कहां गलती हुई। इस पर अब भले ही चर्चा चल रही है, परंतु इस पर बहस का कोई अर्थ नहीं है। भाजपा के नेता महान हैं। उनसे गलती कैसे हो सकती है?
बिहार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव को ‘अहंकार’ कम करने की सलाह दी है। पर विजय के कारण लालू में अहंकार बढ़ेगा। भाजपा का यह कहना ही असल में हास्यास्पद बात है।’ शिवसेना अध्यक्ष ने कहा, ‘भाजपा सांसद अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है-ताली कप्तान को, तो गाली भी कप्तान को। यानी यदि जीत का श्रेय संगठन के प्रमुख को मिल रहा होगा, तो पराजय की जिम्मेदारी भी उसे स्वीकारनी चाहिए। ‘बिहारी बाबू’ ने अपने बयान से किसे कठघरे में खड़ा किया है। यह बताने की अलग से जरूरत नहीं है।’
बीजेपी सांसद और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य मुरली मनोहर जोशी के घर पर बैठक हुई। इसमें लालकृष्ण आडवाणी, यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी शामिल हुए। वरिष्ठ नेता शांताकुमार से फोन पर बात की। इसके बाद यशवंत सिन्हा को बयान देने के लिए अधिकृत किया गया। इस बयान को लेकर पार्टी में भी हलचल तेज हो गई है। पार्टी के सचिव आरपी सिंह ने कहा कि “यह बयान मार्गदर्शक मंडल का नहीं है। सिन्हा मार्गदर्शक मंडल में नहीं हैं। वहीं, शौरी तो बीजेपी में ही नहीं हैं। लेकिन सभी नेता वरिष्ठ हैं।’ दरअसल, लोकसभा चुनावों के बाद 26 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी, आडवाणी और जोशी को संसदीय बोर्ड से हटाकर मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया था। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी सदस्य हैं। इस बोर्ड का बीजेपी के संविधान में कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन जब यह बना था, तब कहा गया था कि पार्टी की गतिविधियों पर मार्गदर्शन लिया जाएगा। लेकिन इसकी आज तक एक भी बैठक नहीं हुई है।
बिहार में भाजपा की हार पर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘हर चुनाव जीतने की तकनीक और जादू किसी के पास नहीं है। लोकसभा चुनाव में भाजपा की बहुत बड़ी जीत हुई यह सच है। मगर उस जीत का श्रेय अब भी राहुल गांधी के कमजोर नेतृत्व को दिया जाता है। अखाड़े में तगड़ा पहलवान नहीं होने की वजह से तब भाजपा ‘बाहुबली’ साबित हुई।’
शिवसेना के मुखपत्र में उद्धव ने कहा, ‘बिहार में भाजपा से कहां गलती हुई। इस पर अब भले ही चर्चा चल रही है, परंतु इस पर बहस का कोई अर्थ नहीं है। भाजपा के नेता महान हैं। उनसे गलती कैसे हो सकती है?
बिहार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे सुशील मोदी ने लालू प्रसाद यादव को ‘अहंकार’ कम करने की सलाह दी है। पर विजय के कारण लालू में अहंकार बढ़ेगा। भाजपा का यह कहना ही असल में हास्यास्पद बात है।’ शिवसेना अध्यक्ष ने कहा, ‘भाजपा सांसद अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है-ताली कप्तान को, तो गाली भी कप्तान को। यानी यदि जीत का श्रेय संगठन के प्रमुख को मिल रहा होगा, तो पराजय की जिम्मेदारी भी उसे स्वीकारनी चाहिए। ‘बिहारी बाबू’ ने अपने बयान से किसे कठघरे में खड़ा किया है। यह बताने की अलग से जरूरत नहीं है।’
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