बेंगलुरु। एक ओर जहां टीपू सुल्तान की तुलना शिवाजी से करने पर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड के खिलाफ सड़क पर उतर आएं हैं भाजपाई, तो दूसरी ओर उनको कुलबर्गी की तरह जान से मारने की धमकी मिली है।
कर्नाड को धमकी दी गई है कि उनका भी वही हाल होगा जो कन्नड़ लेखक एमएम कलबुर्गी का हुआ था। उल्लेखनीय है कि कलबुर्गी की अगस्त में हत्या कर दी गई थी।
धमकी के बाद बुधवार को बेंगलुरु में एक बयान जारी कर कर्नाड ने कहा कि उन्होंने जो भी कहा, वह उनकी निजी राय थी। उन्होंने कहा, 'इसके पीछे कोई दुर्भावना नहीं थी। अगर किसी को पीड़ा पहुंचती है तो मैं माफी मांगता हूं।'
गिरीश कर्नाड के खिलाफ भाजपाइयों ने बुधवार को कर्नाटक में जगह-जगह प्रदर्शन किया। कर्नाड ने मंगलवार को बेंगलुरु में कहा था कि 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान अगर हिंदू होते तो उन्हें मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के समान दर्जा मिलता।
कर्नाड ने कहा था कि अगर टीपू सुल्तान हिंदू होते तो उनका भी कद मराठा शासक छत्रपति शिवाजी की तरह होता। कर्नाड ने मांग की थी कि बेंगलुरु के इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखा जाए। फिलहाल इस एयरपोर्ट का नाम विजयनगर के शासक रहे केंपेगौड़ा के नाम पर है। गिरीश कर्नाड का तर्क था कि केंपेगौड़ा टीपू सुल्तान की तरह फ्रीडम फाइटर नहीं थे। केंपेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के तहत जागीरदार थे जिन्होंने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की थी।
कर्नाड ने टीपू सुल्तान की जयंती पर आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में यह बात कही थी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की मौजूदगी में यहां राज्य सचिवालय में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
भाजपा और उसकी सहयोगी संगठनों ने पूरे राज्य में टीपू सुल्तान की जयंती पर आयोजित कार्यक्रमों का बहिष्कार किया था। इस दौरान एक विहिप कार्यकर्ता की मौत भी हो गई थी।
कर्नाड ने कहा-‘मैं महसूस करता हूं कि अगर टीपू सुल्तान मुस्लिम नहीं हिंदू होते तो उन्हें कर्नाटक में वही दर्जा मिलता जो महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज को हासिल है।’ उन्होंने कहा कि टीपू को उनकी धार्मिक आस्था के कारण यह सम्मान नहीं मिला। क्योंकि आज यह हो रहा है कि हमारे विद्वान और नेता किसी का धर्म और जाति पहले देखते हैं।
टीपू सुल्तान को ‘कन्नड़ विरोधी और हिंदू विरोधी’ कहने वालों पर निशाना साधते हुए कर्नाड ने कहा कि आज हम यह दिन दीपावली और टीपू सुल्तान दिवस के रूप में मना रहे हैं, हम इसे बिहार दिवस के तौर पर भी मना सकते हैं।’ बिहार दिवस संबंधी उनकी टिप्पणी स्पष्ट रूप से भाजपा पर निशाना था जिसे बिहार विधानसभा चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा है।
कर्नाड भाजपा का वैचारिक विरोध करते रहे हैं। कर्नाड की राय के समान ही विचार व्यक्त करते हुए कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि टीपू सुल्तान अगर हिंदू के रूप में पैदा होते तो कर्नाटक और पूरे देश में उन्हें वही सम्मान मिलता जो शिवाजी को मिलता है।
उल्लेखनीय है कि हिन्दू और ईसाई संगठन मानते हैं कि टीपू अंग्रेजों से जरूर लड़ा था, लेकिन उसके काल में मंदिर और चर्चों को तोड़ा गया था और गैर-मुस्लिमों के प्रति तरह-तरह के अत्याचार किए थे। अंग्रेजों से लड़ने से कोई देशप्रेमी नहीं हो जाता।
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