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इज्तिमा: भोपाल का इज्तिमा दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना है,कई देशों के नागरिक आते हैं शामिल होने

भोपाल। भोपाल में मुस्लिमों का सबसे बड़ा समागम आलमी तब्लीगी इज्तिमा 28, 29 और 30 नवंबर को होगा। आलमी तब्लीगी इज्तिमा की ख्याति दुनिया भर में है। दुनिया भर के मुसलमानों की सबसे बड़ी इस धर्म सभा में भारत और उससे बाहर कैसे उमड़ती है भीड़ और क्यूँ नहीं बुलाया जाता भारत में पाकिस्तानी ज़मातों को, हम आज आपको विस्तार से बताते हैं.

भोपाल का इज्तिमा दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना है। इसमें शामिल होने के लिए कई देशों के नागरिक आते हैं, लेकिन पाकिस्तान के लोगों को न्यौता नहीं दिया जाता। बांग्लादेश में यह यह आयोजन फरवरी में हुआ था। वहां करीब 30 लाख लोग जुटे थे। यह तुरांग नदी के किनारे टोंगी में होता है। पाकिस्तान में लाहौर में 5 नवंबर से आयोजित होता है। यानी भोपाल में अंतिम चरण में दुनिया का सबसे बड़ा इज्तिमा आयोजित होता है।

भोपाल में आज़ादी के पहले 1944 में ही इसकी शुरुआत हो गई थी। बंग्लादेश और पाकिस्तान में इसके बाद इज्तिमा शुरू हुआ है। भोपाल में जब पहला इज्तिमा शुरू हुआ था, तब सिर्फ 14 लोग ही इसमें शामिल हुए थे,जबकि इस वक़्त यहां शामिल होने वाले लोगों की संख्या 10 लाख है।
आलमी तबलीगी इज्तिमा के मायने हैं आलमी यानी इल्म यानी शिक्षा, तब्लीगी यानी विस्तार देना या प्रसार करना और इज्तिमा का मतलब है लोगों को इकट्ठा करना। भोपाल में इज्तिमा के शुरू होने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। पहले इज्तिमा में शामिल होने वाले हजरत पीर ख्वाजा हाफिजुद्दीन शाह मीर चिश्ती के पोते डॉ. औसाफ शाहमीरी खुर्रम बताते हैं कि इज्तिमा भोपाल में पहली बार 1944 में हुआ था। तब इसमें महज 14 लोग ही शामिल हुए थे।

इज्तिमा कमेटी के प्रवक्ता अतिकुल रहमान बताते हैं कि भोपाल का इज्तिमा विश्व का सबसे पुराना इज्तिमा है। इसके अलावा एक खास बात यह है कि यह हर साल होता है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी इज्तिमा होता है लेकिन यह बाद में शुरू हुआ। अब कई देशों में इसका आयोजन होने लगा है लेकिन यह हर साल नहीं होता। इसीलिए इसे सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।
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