इंटरनेट सर्च गूगल ने भारत में दुग्ध क्रांति के जनक रहे डाक्टर वर्गीज कुरियन के 94वें जन्मदिन पर उनको याद करते हुए डूडल बनाया है।
गूगल के डूडल में डा. कुरियन को भैंस के साथ दूध की बाल्टी लिये बैठे हैं। देश में अमूल मैन के नाम से विख्यात डा. कुरियन ने 'ऑपरेशन फ्लड' के जरिये अमूल डेयरी ब्रांड को घर-घर में प्रसिद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाई।
अमूल की यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी जिसमें उन्होंने प्रमुख दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों में गाय के बजाय भैंस के दूध का पाउडर सुलभ करवाया।
डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवम्बर 1921 को केरल के कोझिकोड (तत्कालीन कालीकट, मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। उनके पिता कोचीन में एक सिविल सर्जन थे। डॉक्टर कुरियन ने वर्ष 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे।
डॉ कुरियन को देश-विदेश में उनके काम के लिये सराहा गया है। भारत सरकार ने उनके योगदान के लिये उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानति किया है। इसके अलावा उन्हें सामाजिक नेतृत्व के लिये वर्ल्ड फूड प्राइज, मन मैगसेसे पुरस्कार और 'कार्नेगी-वॉटेलर वर्ल्ड पीस प्राइज' जैसे कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया हैं। उन्हें दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से लगभग 12 मानद उपाधियों से सम्मानित किया गाया।
डॉ. कुरियन ने अपने जीवन के संघर्षों पर 'आइ टू हैड आ ड्रीम', 'द मैन हु मेड द एलीफेन्ट डांस' (ऑडियो बुक) और 'ऐन अनफिनीशड ड्रीम' जैसी किताबें लिखी हैं।
डॉ.कुरियन का 90 साल की उम्र में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद 9 सितंबर 2012 को गुजरात के आणंद के पास के नाडियाड गांव में निधन हुआ।
गूगल के डूडल में डा. कुरियन को भैंस के साथ दूध की बाल्टी लिये बैठे हैं। देश में अमूल मैन के नाम से विख्यात डा. कुरियन ने 'ऑपरेशन फ्लड' के जरिये अमूल डेयरी ब्रांड को घर-घर में प्रसिद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाई।
अमूल की यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी जिसमें उन्होंने प्रमुख दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों में गाय के बजाय भैंस के दूध का पाउडर सुलभ करवाया।
डॉ. कुरियन का जन्म 26 नवम्बर 1921 को केरल के कोझिकोड (तत्कालीन कालीकट, मद्रास प्रेसीडेंसी) में हुआ था। उनके पिता कोचीन में एक सिविल सर्जन थे। डॉक्टर कुरियन ने वर्ष 1973 में गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन की स्थापना की और 34 साल तक इसके अध्यक्ष रहे।
डॉ कुरियन को देश-विदेश में उनके काम के लिये सराहा गया है। भारत सरकार ने उनके योगदान के लिये उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानति किया है। इसके अलावा उन्हें सामाजिक नेतृत्व के लिये वर्ल्ड फूड प्राइज, मन मैगसेसे पुरस्कार और 'कार्नेगी-वॉटेलर वर्ल्ड पीस प्राइज' जैसे कई अन्य पुरस्कारों से नवाजा गया हैं। उन्हें दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से लगभग 12 मानद उपाधियों से सम्मानित किया गाया।
डॉ. कुरियन ने अपने जीवन के संघर्षों पर 'आइ टू हैड आ ड्रीम', 'द मैन हु मेड द एलीफेन्ट डांस' (ऑडियो बुक) और 'ऐन अनफिनीशड ड्रीम' जैसी किताबें लिखी हैं।
डॉ.कुरियन का 90 साल की उम्र में एक संक्षिप्त बीमारी के बाद 9 सितंबर 2012 को गुजरात के आणंद के पास के नाडियाड गांव में निधन हुआ।
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