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महंगा पड सकता है पैन कार्ड का गलत उपयोग

नई दिल्ली। पैन कार्ड के नंबर इनकम टैक्स से जुड़े दस्तावेज ही नहीं किंतु वित्तीय पहचान भी होते है। वित्तीय लेनदेन में पैनकार्ड का उपयोग आवश्यक बनाया जा रहा है। पहचानपत्र के रूप में पैन कार्ड का सभी जगह उपयोग करते हैं किंतु क्या आपको मालुम है कि पैन नंबर का गलत तरीके से उपयोग करना आपको जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा सकता है। आयकर कानून के अनुसार अगर टैक्स रिटर्न के असेसमेंट में पैन नंबर की जानकारी मैच खाती है या फिर टैक्स पेयर गलत सुचना देने पर सजा और जुर्माने दोनों का प्रावधान है।
इनकम का विवरण नही देने पर 7 साल की कैद हो सकती है
आयकर कानून की धारा 114बी के अनुसार निश्चित मूल्य से अधिक के वित्तीय लेन-देन के लिए पैन कार्ड जरुरी है। हमेशा ऐसी खरीद के वक्त हम अपने पैन कार्ड का उपयोग करने से बचते है या कभी हम गलत पैन नंबर भी डाल देते हैं किंतु अगर टैक्स असेसमेंट के वक्त आयकर विभाग की नजर आप पर पड़ती है। तो यह गलती आप पर भारी पड़ सकती है। आयकर कानून के अनुसार कोई व्यक्ति पैन कार्ड से जुड़ी गलत सुचना उपलब्ध कराता है तो उस पर 20,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय अगर आपने 25 लाख रुपए से ज्यादा अमाऊंट का विवरण नहीं दिया तो ऐसी स्थिति में 6 माह से लेकर 7 साल तक की कठोर कारावास की सजा मिलती है।
खरीदार और विक्रेता दोनों को पैन नंबर बताना आवश्यक
5 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने में (खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए) पैन नंबर बताना आवश्यक है। इसके बावजुद अगर आप 5 लाख रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी खरीदते हैं तो भी टैक्स डिपार्टमेंट को पैन नंबर के माध्यम से सुचना देनी होती है। इसके अलावा अगर आप होटल में ठहरे हुए है और उसका बिल 25 हजार रुपए से ज्यादा का बनता है तो बिल भुगतान के समय पैन कार्ड अनिवार्य होता है। बड़े बड़े वित्तीय लेन-देन में पैन नंबर इसका उपयोग होता है। इसमें किसी भी व्यक्ति द्वारा किए गए लेन-देन के बारे में जानकारी होती है। पैन के जरिए टैक्स का भुगतान, टैक्स का आकलन, टैक्स की बकाया राशि आदि को कैल्कुलेट किया जाता है। साथ ही टैक्सपेयर का निवेश, कर्ज और अन्य व्यवसायिक गतिविधियों का भी पूरा कच्चा चिपैन कार्ड से पता चल जाता है। आयकर विभाग इकसी सहायता से टैक्स चोरी का पता लगा सकता है।
क्यों है पैन कार्ड आवश्यक
अगर आपने वित्तीय लेन-देन के अनुसार पैन कार्ड नहीं दिया तो ऐसी स्थिति में रजिस्ट्री डिपार्मेंट आपकी लेन-देन की प्रक्रिया को वहीं खत्म कर सकता है। वहीं यदि नौकरी के समय पैन कार्ड नहीं देते तो आपको आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर 25 वर्षीय कार्तिक किसी कंपनी में काम कर रहा है और उसने अपना पैन नंबर नहीं दिया तो उसका टीडीएस 20 फीसदी कटेगा, भले ही उसकी टैक्सेबल इनकम 10 फीसदी ही क्यों न हो। टीडीएस की राशि को लेने के लिए भी रिटर्न दाखिल करना और पैन कार्ड आवश्यक होता है। पैन न होने की स्थिति में आप न तो रकम पा सकते हैं और न ही उस रकम के लिए टैक्स डिपार्मेंट में दावा कर सकते हैं।
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