राजधानी में पिछले छह महीने से केरवा और कलियासोत इलाके में सक्रिय बाघ को पकड़ने के लिए शुक्रवार सुबह फिर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया. गुरुवार को सात घंटे तक चले सर्च ऑपरेशन के बाद बाघ नजर नहीं आया था. माना जा रहा है कि दीपवाली के मौके पर पटाखों के शोर की वजह से बाघ जंगल के काफी भीतर चला गया होगा.
पिछले महीने भोपाल के करोंद में घुस आए बाघ टी-7 का रेस्क्यू ऑपरेशन कर उसे पन्ना नेशनल पार्क भेजने के बाद अब इस रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है. इसमें वन विभाग के करीब 150 अधिकारी और कर्मचारियों मिलकर काम कर रहे हैं. जो बाघ को ढूंढने और उसे पकड़ने के लिए पांच टीमों में बंटे हुए हैं.
ऑपरेशन में कोई परेशानी न आए इसके लिए पूरे इलाके को सील करके रेस्क्यू ऑरेशन को अंजाम दिया जा रहा है. बताया जा रहा है कि, बाघ को सफेद चादर की दीवार और हाथियों की मदद से एक तय जगह पर लाया जाएगा.
जहां पहुंचने पर उसे बेहोश कर उन्हें रेडियो कॉलर लगाया जाएगा, जिससे वन विभाग की टीम 24 घंटे उनके मूवमेंट पर नजर रख सकेंगे.
गौरतलब है कि बाघ का रिहायशी इलाके की ओर बढ़ते मूवमेंट के बाद एनजीटी ने वन विभाग को इस बारे में कदम उठाने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद वन विभाग ने बाघ को शिफ्ट करने का फैसला किया था. कुछ दिनों पहले ही बाघ टी-1 को पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए थे, लेकिन विभाग की ये तरकीब काम नहीं आ पाई.
भोपाल में बाघ के मूवमेंट को बढ़ता देख कलियासोत और केरवा इलाके में धारा 144 लगी हुई है. प्रशासन ने ये फैसला बाघ के मूवमेंट को देखते हुए लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए लिया गया था.
जिसके तहत कलियासोत और केरवा क्षेत्र में शाम 6 से सुबह 6 बजे तक धारा 144 लागू है. इस दौरान यहां से वाहनों का आवागमन पूर्णत: प्रतिबंधित रेहता है. केवल एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड आैर सुरक्षा में तैनात गाड़ियां को इलाके में आने की छूट दी गई है.
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