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दादरी घटना: पुरस्कार लौटाना सम्मान का अनादर करने जैसा- शशि थरूर

तिरुवनंतपुरम। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता ने दादरी घटना के विरोध में लौटा रहे साहित्यकारों से असहमति जताते हुए कहा कि पुरस्कार लौटाना का अनादर करने जैसा है।
 
थरूर ने कहा कि उन्हें दुख है कि साहित्यकार अपने उन पुरस्कारों को लौटा रहें हैं जो उनकी बौद्धिक, साहित्यिक, अकादमिक एवं रचनात्मक प्रतिभा का सम्मान है। उन्होंने साहित्यकारों की चिंताओं पर सहमति जताई साथ ही यह भी कहा कि ये चिंताएं राजनीतिक हैं।
 
डॉ. थरूर ने कहा साहित्यकारों को जो सम्मान मिला है और जिस बात को ले कर वह चिंतित हैं उसके बीच उन्हें भ्रमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान की जो स्थितियां है उनका विरोध होना चाहिए और लोगों को स्वतंत्रता के समर्थन में खड़ा होना चाहिए लेकिन पुरस्कारों का अनादर नहीं करना चाहिए।
 
केरल के साहित्यकार साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के मुद्दे पर बंटे हुए है। प्रसिद्ध उपन्यासकार पी. वलसला, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एम.टी.वासुदेवन नैयर, कवियत्री सुजाता कुमारी एवं प्रसिद्ध लेखक यू.ए.खादेर ने पुरस्कार लौटाने से असहमति जताई है वहीं के.सच्चिदानंद, पी.के.परक्कडावु एवं सारा जोसेफ ने अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है।
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