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हैण्‍डपम्‍प से पानी निकालने का देना होगा हिसाब

अब हैण्‍डपम्‍प से पानी निकालने का देना होगा हिसाब
अब हैण्डपम्प स्वीकृति के साथ ही जल पुनर्भरण के लिए स्ट्रक्चर बनवाना भी जरूरी होगा. यानी की आप को जानकारी देनी होगी कि इस हैण्‍डपम्‍प से रोजाना कितना जल निकाला जाएगा.
पेयजल विभाग जल्द ही इस नीति पर अमल करने जा रहा है. पेयजल विभाग का मानना है कि इससे भूजल दोहन के साथ उसका उतनी ही मात्रा में पुनर्भरण भी सुनिश्चित हो सकेगा.
पानी दोहन की देनी होगी जानकारी
पेयजल विभाग में हैण्डपंप लगवाने के भरपूर मांग है. हर जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में हैण्डपंप लगवाने की मांग करता है और विभाग पर हैण्डपंप स्वीकृति का खासा दबाव रहता है. यहां तक कि विभाग के पास इसके पर्याप्त और सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं है कि कितने हैण्डपंप स्वीकृत किए गए हैं. पीएचईडी विभाग को ग्राम पंचायतों के साथ खुद विभाग के दायरे में आनेवाले हैण्डपंपों की हर अभियान में मरम्मत करानी पड़ती है. इस सिरदर्दी के चलते अब जलदाय विभाग यह प्रावधान कराने जा रहा है कि हैण्डपंप स्वीकृति के साथ ही उसका रिचार्जिंग स्ट्रक्चर बनाना होगा. इसके चलते जितना पानी का दोहन होगा उतना ही जल पुनर्भरण करना सुनिश्चित हो सकेगा.
वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण
दरअसल, भूजल दोहन के चलते तेजी से पेयजल स्तर नीचे जा रहा है. जिसके चलते हैण्डपंप निर्माण के दो से तीन साल बाद ही हैण्डपंप या तो सूख जाता है या फिर उसमें पानी की मात्रा कम हो जाने के चलते लोग उसका उपयोग नहीं कर पाते है. ऐसे में गिरते भूजल स्तर की समस्या से बचने के लिए जलदाय विभाग हैण्डपंप निर्माण के साथ ही उसमें वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण कराए जाने को लेकर नीति तैयार की है. अब माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद कैबिनेट में अनुमोदन के लिए इसे रखा जा सकता है.
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