राजधानी के करोंद में बाघ के दिखने के आठ घंटे बाद आखिरकार उसे पकड़ लिया गया है. विशेषज्ञों की टीम ने बाघ को बेहोश करके उसे पिंजरे में डाल दिया गया.
गुरुवार सुबह उस समय लोगों में हड़कंप मच गया जब सुबह करीब पौने छह बजे करोंद इलाके में स्थित कृषि अभियांत्रिकी संस्थान के परिसर में कर्मचारियों ने बाघ को देखा. लोगों के शोर मचाने पर बाघ कूद कर सरकारी आवास की छत पर जा बैठा. जिसके बाद लोगों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी.
करीब आधे घंटे में निशातपुरा पुलिस अमला मौके पर पहुंचा और उन्होंने लोगों को वहां से हटाना शुरू कर दिया. वन विभाग को भी इस बारे में सूचित किया गया. लेकिन वो यहां पर करीब 8 बजे पहुंचे. इस दौरान पुलिस ने सरकारी आवास के पास का करीब आधा किलोमीटर का क्षेत्र खाली करवा दिया.
लोगों की आवाजाही भी इस इलाके में बंद कर दी गई. इसके बाद बाघ को पकड़ने के लिए विशेषज्ञों की टीम को बुलाया गया ताकि वो बाघ को बेहोश कर उसे पकड़ सकें.
टीम पहुंचने के बाद बाघ को ट्रैंकुलाइज करने की कोशिश की गई. एक ट्रैंकुलाइजर का असर होने में करीब 15 मिनट का समय लगता है जिसके बाद जानवर बेहोश हो जाता है. लेकिन इस बाघ पर इसका कोई असर नहीं हुआ.
जिसके बाद चार बार और बाघ को ट्रैंकुलाइज किया गया. तब जाकर बाघ बेहोश हुआ और कृषि अनुसंधान केंद्र के कमरे में जाकर लेट गया. मौका पाते ही वन विभाग की टीम कमरे के बाहर पिंजरा ले आई और उन्होंने बाघ को कड़ी मशक्कत के बाद सफलतापूर्वक पिंजरे में बंद कर दिया.
वन विभाग का कहना है कि, बाघ को फिलहाल वन विभाग ले जाया जा रहा है. जहां पर बाघ का इलाज करने के बाद उसे सुरक्षित इलाके में छोड़ दिया जाएगा.
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