नई दिल्ली: काले धन से जुड़ा एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है जो मोदी सरकार की परेशानी को और बढ़ा सकता है। एक न्यूज चैनल रिपोर्ट के मुताबिक, 59 कंपनियों की मिलीभगत से 6,000 करोड़ रूपये का घोटाला हुआ है और पैसे को दिल्ली स्थित एक सरकारी बैंक के जरिए बाहर भेजा गया है। पैसे को देश से बाहर भेजने के लिए इन कंपनियों ने खाने-पीने एवं श्रृंगार की चीजों के आयात का सहारा लिया। इस मामले के तथ्य काफी रोचक हैं। इन 59 कंपनियों ने हांगकांग से दाल, चावल खरीदने के नाम पर वहां करीब 6,000 करोड़ रूपये जमा किया। गौरतलब है कि हांगकांग में कोई पैदावार नहीं होती और खाने-पीने के सामान हांगकांग खुद चीन से मंगाता है। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जिस देश में कोई पैदावार नहीं होती वहां से कभी मसाले, कभी चावल, कभी ड्राई फ्रूट्स और कभी जनरल कॉस्मेटिक की खरीदारी कैसे की गई?
सरकारी नियमों के मुताबिक यदि बैंक डॉलर की बड़ी रकम के तौर पर विदेशो में पेमेन्ट कर रहा होता है तो वह पैसा भेजने वाली पार्टी से कहता है कि जिस कंपनी को पैसा भेजा जाना है उसके बारे में पूरी जानकारी बैंक को मुहैया कराए और बड़ी रकम होने की स्थिति में वह पैसा लेने वाली पार्टी से एलसी यानी लैटर ऑफ क्रेडिट की भी मांग करता है जिसके तहत पैसा लेने वाली पार्टी अपने यहां के बैक की गांरटी भी मुहैया कराए, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं किया गया। बैंक ऑफ बड़ौदा में 59 कंपनियों के जो 59 खाते थे उसमें नकद रकम जमा कराई जाती थी और फिर उस रकम को विदेशों से सामान मंगाने के लिए एडवांस के तौर पर भेजने को कहा जाता था जबकि बैंक के पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, कि जिस सामान के लिए पैसा भेजा गया वह सामान आया भी या नहीं। हैरान करने वाली बात ये है कि 59 खातों से डॉलर के जरिए भेजी जा रही ये रकम हांगकांग की कुछ गिनी-चुनी कंपनियों के पास ही जा रही थी।
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