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DRDO के वैज्ञानिकों से बोले रक्षा मंत्री, अब असाल्‍ट राइफल भी बनाओ'

नई दिल्ली:  रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने डीआरडीओ के वैज्ञानिकों से कहा कि वे क्रोध एवं द्वेष पर काबू तथा विनम्र बनने की कला ऋषियों से सीखें। शिक्षित लोगों के विनम्र होने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पुराने दिनों में ऋषी ‘संभवत: महान वैज्ञानिक’ थे।
पर्रिकर यहां डीआरडीओ के निदेशकों के 39वें सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वह इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते कि ऋषि वैज्ञानिक थे या आध्यात्मिक। ऋषियों के बारे में बोलने के पहले पर्रिकर ने कहा कि वह एक प्रमुख मुद्दा की पहचान करना चाहेंगे, इसे गलत अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए। ‘ मैं हमेशा मानता हूं कि संयम से शक्ति बढ़ती है और विनम्रता से विद्या बढ़ती है। ’ पर्रिकर ने पौराणिक ऋषि दधीचि का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने इंद्र को वज्र दिया।
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने डीआरडीओ को सभी तरह की मदद का आश्वासन दिया, लेकिन कहा कि वैज्ञानिकों को स्वयं को लगातार उन्नत करने की आवश्यकता है और उन्हें कार्य को दोहराने से बचना चाहिए । उन्होंने डीआरडीओ वैज्ञानिकों से यह भी कहा कि उन्हें ‘ऋषियों’ से ‘सीखना’ चाहिए, जिन्होंने ईर्ष्या और गुस्से पर विजय पाई, जबकि वैज्ञानिक समुदाय में ‘‘बहुत से टकराव और राजनीति’’ देखी गई है ।
पर्रिकर ने कहा कि उन्हें अपनी ‘बाजू चढ़ा लेनी चाहिए’ तथा अधिक प्रयास करना चाहिए । मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि यदि सत्यनिष्ठा नहीं है तो शिक्षा का कोई मूल्य नहीं है ।
रक्षामंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने जहां मिसाइल प्रौद्योगिकी में काफी अच्छा काम किया है, वहीं ‘अन्वेषण प्रौद्योगिकी में हम अब भी काफी पीछे हैं जिसके लिए हमें विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है ।’ उन्होंने कहा कि डीआरडीओ को अगले पांच-दस साल में प्रमुख क्षेत्रों में स्वयं सक्षम होने की दिशा में काम करना चाहिए ।
पर्रिकर ने वैज्ञानिकों से ‘जुट जाने को कहा’ और आश्चर्य जताया कि सशस्त्र बलों के लिए कोई बेसिक असॉल्ट राइफल या सैनिकों के लिए एक अच्छी बुलेट प्रूफ जैकेट क्यों नहीं बनाई जा सकती । उन्होंने कहा कि डीआरडीओ को मित्र देशों को निर्यात पर भी ध्यान देना चाहिए ।
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