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देवघर में बाबा भोलेनाथ के श्रृंगार के लिए कैदी बनाते हैं मुकुट

वैसे तो देवघर में देवों के देव महादेव के बाबा नगरी स्थित मंदिर में अनेक परंपराएं हैं जिन्हें बाबा के भक्त या फिर पुरोहित करते हैं. हालांकि, लेकिन इन सबसे अलग एक परंपरा ऐसी है जो कई मायनों में अनूठी है.
जी हां, सालों से संध्या में भगवान भोलेनाथ के ज्योर्तिलिंग का श्रृंगार जिस मुकुट से होता है उसे कोई और नहीं बल्की देवघर मंडल कारा के कैदी अपने हाथों से गढ़ते हैं. ये परंपरा सालों से चली आ रही है, लेकिन सावन के पूर्णिमा के दिन एक के बदले दो मुकुट बनाए जाते हैं. जहां एक देवघर स्थित बाबा मंदिर के शिवलिंग पर श्रृंगार के लिए होता है, वहीं दूसरा बासुकी नाथ स्थित बाबा फौजदारी के श्रृंगार के लिए बनाया जाता है.
इन मुकटों के निर्माण में लगे कैदी उपवास पर रहते हैं और पूरी भक्ति के साथ मुकुट बनाते हैं. कैदियों का कहना है कि उनका सौभाग्य है कि उनके बनाए मुकुट से भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार होता है. कैदियों को विश्वास है कि इनके भी जीवन में अच्छा होगा. जेल प्रशासन भी इस दिन को लेकर उत्साहित रहते हैं.
परंपरा के मुताबिक, श्रावणी पूर्णिमा पर बाबाधाम में मंडल कारा के कैदियों के हाथों से तैयार मुकुट को कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को बासुकीनाथ भेजा गया. मुकुट को तैयार करने वाले कैदी सबसे पहले मुकुट को लेकर बाहर आए जहां जेल अधीक्षक और सहायक अधीक्षक ने मुकुट को अपने कंधे पर लिया और उसे पूरे धूमधाम के साथ बाबा के मंदिर के लिए भेजा गया.
देवघर में बाबा भोलेनाथ के श्रृंगार के लिए कैदी बनाते हैं मुकुट
आपको बता दें कि परंपरा के मुताबिक जहां सालों भर मंडल कारा के कैदी अपने हाथों मुकुट तैयार करते हैं जो हर रोज शाम बाबा बैधनाथ धाम के मंदिर में श्रृंगार में प्रयोग किया जाता है. वहीं सावन के पूर्णिमा के दिन दो मुकुट तैयार किए जाते हैं एक मुकुट बासुकीनाथ स्थित फौजदारी बाबा को अर्पित किया जाता है.
महाशिवरात्री के दिन बैधनाथ धाम मंदिर में श्रृंगार का रस्म नहीं होती है इसलिए सावन के पूर्णिमा के दिन एक मुकुट ज्यादा बनाकर बासुकीनाथ भेजा जाता है, ताकि साल मे 365 दिन मुकुट तैयार किए जाने की परंपरा बनी रहे.
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