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भारत की आत्मा के मूल में नहीं है बाइबिल और कुरान

डॉ. महेश शर्मा ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि स्कूलों में रामायण और महाभारत की पढ़ाई अनिवार्य होनी चाहिए. गीता और रामायण की तरह भारत की आत्मा के मूल में बाइबिल और कुरान नहीं हैं.
नोएडा से भाजपा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि रामायण और महाभारत की पढ़ाई स्कूलों में अनिवार्य होनी चाहिए. उन्होंने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि इस योजना को पूरा करने के लिए वे मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ काम कर रहे हैं.
बाइबिल और कुरान का भी सम्मान होना चाहिए, पर ये गीता और रामायण की तरह भारत की आत्मा के मूल में नहीं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक गीता-रामायण की बात है, ये भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मकि धरोहर हैं. यही वजह है कि इनकी पढ़ाई अनिवार्य होनी चाहिए.
केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा ने एक इंटरव्यू के दौरान हिंदू धार्मिक ग्रंथों को लेकर भी अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि बतौर संस्कृति मंत्री मेरा मानना है कि हिंदू धर्मग्रंथों रामायण, महाभारत और गीता को स्कूलों में अनिवार्य किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वे बाइबिल और कुरान का भी बहुत सम्मान करते हैं, लेकिन ये दोनों धार्मिक ग्रंथों में जीवन से जुड़ी वे बातें नहीं हैं जो रामायण और गीता में हैं. शर्मा ने कहा कि कुरान और बाइबिल भारत की आत्मा के केंद्र में नहीं हैं.
इसी दौरान केन्द्रीय मंत्री नवरात्र के दौरान मीट बैन किए जाने की वकालत की. शर्मा ने कहा कि अकेले महाराष्ट्र में जैन समुदाय के पर्यूषण पर्व के दौरान ही नहीं बल्कि नवरात्र के दौरान पूरे भारत में मीट बिक्री पर बैन होना चाहिए.
टीवी चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में महेश शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार को इंडिया को वेस्टर्न कल्चर के पॉल्युशन से फ्री करने की दिशा अहम कदम उठाना चाहिए.
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