बीजिंग। संयुक्त राष्ट्र
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की मांग के समर्थन में बढते
भारतीय वर्चस्व को देखकर चीनी मीडिया बुरी तरह बौखला गया है। चीन के एक
सरकारी अखबार ने लिखा है कि स्थायी सदस्यता के लिए जापान, जर्मनी और
ब्राजील से मदद लेना भारत की सबसे बड़ी भूल है।
सरकार संचालित शंघाई इंस्टीट्यूट्स फॉर
इंटरनेशनल स्टडीज के अनुसंधानकर्ता लिउ जोंगई ने ग्लोबल टाइम्स में लिखे
लेख में कहा है, ‘इस साल संयुक्त राष्ट्र की 70वीं सालगिरह है और संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों की मांग जोर पकड़ रही है।’ लेख में कहा
गया है कि ब्राजील, भारत, जर्मनी और जापान से मिलकर बना ‘जी 4’ देशों का
संगठन बदलाव की सबसे ज्यादा मांग कर रहा है।’
लेख के अनुसार, ‘भारतीय राजनेता,
शिक्षाविद् और मीडिया मानता हैं कि स्थायी सदस्यता पाने में चीन सबसे बड़ी
बाधा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर बीजिंग
ने कभी भी खुलकर नई दिल्ली की संयुक्त राष्ट्र में उम्मीदवारी का समर्थन
नही किया है।’
लेख के अनुसार, ‘वास्तव में, भारत की सबसे
बड़ी गलती जापान, जर्मनी और ब्राजील के साथ मिलकर गठबंधन बनाना है। इन
तीनों देशों के इस क्षेत्र में विराधी मौजूद हैं। चीन और दक्षिण कोरिया
जापान की उम्मीदवारी का निश्चित तौर पर कड़ा विरोध करेंगे।’ इसमें आगे कहा
गया है कि चीन लंबे समय से यह कहता आ रहा है कि भारत का जापान के साथ हाथ
मिलाना एक गलती है जिसकी दावेदारी का चीन ऐतिहासिक कारणों से विरोध करता
है।
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