यूपी में नवजातों को जन्म के बाद केवल 22 प्रतिशत महिलाएं ही छह
महीने तक स्तनपान कराती हैं। इसके उलट उन्हें डिब्बाबंद दूध पिलाया जाता है
जो उनके लिए सुरक्षित नहीं है। बच्चों के साथ ही महिलाओं का सशक्तीकरण
जरूरी है।इसके लिए उनकी शिक्षा के साथ स्वास्थ्य सुधार भी करना
होगा। महिलाएं सशक्त होगीं तो वह खुद ही पुरुषों की बराबर आ जाएंगीं।’
बुधवार को सांसद डिम्पल यादव ने बीकेटी स्थित साढ़ामऊ के रामसागर मिश्र
संयुक्त अस्पताल में यह बात कही।स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन और दो
अन्य मंत्रियों के साथ वह यहां मातृ एवं बाल स्वास्थ्य वर्ष 2015-16 और
ग्राम्य स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस के उद्घाटन के मौके पर मौजूद थीं। यहां
आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी
उन्होंने उद्घाटन किया।डिम्पल ने कहा, यह देखने में आया है कि घरों
के अलावा नर्सिंग होम में भी डिब्बाबंद दूध पिलाया जाता है। यह गलत चलन
है। इसे बदलकर� स्तनपान की दर को बढ़ाकर कम से कम 50 प्रतिशत पर लाना होगा।
इसके लिए जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। लेकिन इससे भी नवजातों की
मृत्युदर को कम करने में मदद नहीं मिलेगी।
चिकित्सकीय सलाह यह है कि जन्म के बाद कम से कम छह महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान कराना चाहिए। उन्होंने जच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों को प्रसवपूर्व सुविधाओं को बढ़िया बनाने को कहा।
चिकित्सकीय सलाह यह है कि जन्म के बाद कम से कम छह महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान कराना चाहिए। उन्होंने जच्चा के बेहतर स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य मंत्री और अधिकारियों को प्रसवपूर्व सुविधाओं को बढ़िया बनाने को कहा।
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