धार. यहां के जिला अस्पताल के पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी)
में चूहे ने एक नवजात के चेहरे को कुतर दिया, जिससे उसकी नाक में गहरा जख्म
हो गया। घटना के बाद घबराए डॉक्टरों ने एक हफ्ते तक मामले को दबाए रखा और
बच्चे को गुपचुप तरीके से आईसीयू में भर्ती कर दिया। मामला उस समय उजागर
हुअा जब अस्पताल के ही एक कर्मचारी ने इसकी शिकायत कलेक्टर को कर दी।
कलेक्टर के आदेश पर बुधवार देररात सीएमएचओ, सिविल सर्जन समेत
स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी अस्पताल पहुंचे और मामले की जांच की। जांच
में दोषी पाए जाने पर स्टाफ नर्स सोनाली भिड़े को सस्पेंड और केयर टेकर आशा
राठौड़ को बर्खास्त कर दिया गया।
माता-पिता छोड़ गए थे अस्पताल में
चूहे के शिकार इस नवजात की बदनसीबी की कहानी उसके जन्म से ही शुरू हो गई थी। 20 जुलाई को धार के एक निजी अस्पताल में जन्मा यह नवजात काफी कमजोर था। इसी कारण इसे जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू रैफर कर दिया गया। इसके बाद जेतपुरा निवासी मां टीना और पिता गोविंद उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और उसे भर्ती कर कहीं चले गए और उसके बाद लौटकर नहीं आए। इसके बाद मासूम अस्पताल में ही था। नर्स और केयर टेकर उसकी देखरेख कर रही थीं। 28 अगस्त की रात इस नवजात के चेहरे पर कई जगह चूहे के कुतर जाने के निशान दिखाई दिए, खासकर नाक पर गहरा जख्म था। इस पर घबराए स्टाफ ने बिना किसी को बताए उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया था। इसकी जानकारी सुबह एनआरसी प्रभारी और सिविल सर्जन को लग गई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
चूहे के शिकार इस नवजात की बदनसीबी की कहानी उसके जन्म से ही शुरू हो गई थी। 20 जुलाई को धार के एक निजी अस्पताल में जन्मा यह नवजात काफी कमजोर था। इसी कारण इसे जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू रैफर कर दिया गया। इसके बाद जेतपुरा निवासी मां टीना और पिता गोविंद उसे लेकर जिला अस्पताल पहुंचे और उसे भर्ती कर कहीं चले गए और उसके बाद लौटकर नहीं आए। इसके बाद मासूम अस्पताल में ही था। नर्स और केयर टेकर उसकी देखरेख कर रही थीं। 28 अगस्त की रात इस नवजात के चेहरे पर कई जगह चूहे के कुतर जाने के निशान दिखाई दिए, खासकर नाक पर गहरा जख्म था। इस पर घबराए स्टाफ ने बिना किसी को बताए उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया था। इसकी जानकारी सुबह एनआरसी प्रभारी और सिविल सर्जन को लग गई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
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