भोपाल. लाल
परेड मैदान पर 10 सितंबर से शुरू हो रहे विश्व हिंदी सम्मेलन में ब्रिटेन,
रूस, दक्षिण अफ्रीका, जापान, इंडोनेशिया सहित 39 देशों केे 150 से ज्यादा
हिंदी के विद्वान शामिल हो रहे हैं। इसके अलावा देशभर में हिंदी पर शोध कर
रहे 650 शोधार्थी भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
सम्मेलन में देश और प्रदेश से भी सिर्फ आमंत्रित अतिथियों को ही
प्रवेश दिया जाएगा। सम्मेलन के शुभारंभ और समापन दिवस के कार्यक्रम के लिए
देश भर के चुनिंदा विद्वानों को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है। हिंदी के
क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों काे भी आमंत्रित किया गया है। 6
सितंबर से अतिथियों के आने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। संभवत: 7 सितंबर से
सम्मेलन स्थल पर प्रदर्शनियां भी शुरू हो जाएंगी।
विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए बनाया जा रहा पंडाल मध्यप्रदेश में अब तक
के किसी भी राष्ट्रीय कार्यक्रम से श्रेष्ठ होगा। साठ हजार वर्गफुट का यह
पंडाल पूरी तरह वातानुकूलित होगा। चार अलग-अलग सभागृह होंगे। एक सभागृह में
400 लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी। इसके अलावा चौदह हजार वर्गफुट के दो
अलग-अलग पंडाल प्रदर्शनियों के लिए होंगे।
जयपुर लिटरेचर फेस्ट से तुलना नहीं
विश्व हिंदी सम्मेलन की जयपुर फेस्टिवल से कोई तुलना नहीं है। यहां
जयपुर फेस्टिवल की तरह किताबों का विक्रय भी नहीं किया जाएगा। सम्मेलन स्थल
पर किसी भी तरह की व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं होगी। सम्मेलन स्थल
पर प्रवेश भी सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा, जिनके पास प्रवेश पत्र होंगे।
तीन स्तरीय सुरक्षा जांच के बाद ही सम्मेलन स्थल पर प्रवेश मिलेगा।भिन्न क्षेत्रों में हिंदी के प्रयोग पर विशेष सत्र
सम्मेलन के शुभारंभ पर होने वाला यह सत्र विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
की अध्यक्षता में होगा। इस सत्र में इस बात पर चर्चा की जाएगी कि विदेश
नीति में हिंदी को कैसे बढ़ावा दें? इसके लिए क्या किया जाना चाहिए? ऐसे ही
प्रशासन, सूचना प्रौघोगिकी, पत्रकारिता, विधि, चिकित्सा के क्षेत्र में
हिंदी के प्रयोग पर विमर्श के लिए भी अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे।
चिकित्सा के क्षेत्र में हिंदी के प्रयोग पर होने वाले सत्र की अध्यक्षता
पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन करेंगे।
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