टाइगर रिज़र्व में नाइट सफारी बंद होने के बाद अब Village Tourism बनेगा नया आकर्षण
बांधवगढ़ की शांत रातों में घूमने वाली जीपें अब थम चुकी हैं। नाइट सफारी बंद होने के बाद जहां पर्यटन व्यवसाय को झटका माना जा रहा था, वहीं अब जंगल के बीच बसे छोटे-छोटे गांवों में एक नई उम्मीद जागी है। यहां की मिट्टी की खुशबू, लकड़ी पर पका खाना और आदिवासी जीवन की सादगी अब ‘विलेज टूरिज़्म’ का नया आकर्षण बनने जा रही है।
टाइगर रिज़र्व के अधिकारी मानते हैं कि आज के पर्यटक सिर्फ वन्यजीव देखने नहीं आते, बल्कि स्थानीय संस्कृति को महसूस करना चाहते हैं। इसी वजह से बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व ने गांवों को पर्यटन के नए केंद्र के रूप में विकसित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। जहां नाइट सफारी रुकी, वहीं ‘गांव की दुनिया’ अब यात्रा का नया रोमांच बनकर उभर रही है।
नाइट सफारी बंद होने के बाद अब क्यों बढ़ा ‘विलेज टूरिज़्म’ पर फोकस?
नाइट सफारी कई सालों से बांधवगढ़ और अन्य टाइगर रिज़र्व में लोकप्रिय थी। एक खामोश जंगल में रात के अंधेरे में टॉर्च की रोशनी से टाइगर या अन्य वन्यजीव देखने का इंतज़ार अपने आप में रोमांच था। लेकिन इसके बंद होने के बाद पर्यटन के क्षेत्र में एक खालीपन पैदा हुआ। फील्ड डायरेक्टर डॉ. अनुपम सहाय बताते हैं कि विलेज टूरिज़्म हमेशा से ही संभावनाओं से भरा क्षेत्र था, लेकिन अब इसे और मजबूत करने का समय आ गया है। उनके अनुसार बाहर से आने वाले अधिकांश पर्यटक गांव की असली संस्कृति, स्थानीय जीवन और परंपराओं को जानना चाहते हैं। गांवों में होमस्टे और स्थानीय भोजन उन्हें एक अनोखा अनुभव देता है। इस दिशा में हम पहले भी काम कर रहे थे, लेकिन अब इसे और गति देंगे। वास्तव में दुनिया भर में ‘सस्टेनेबल टूरिज़्म’ की मांग तेजी से बढ़ रही है। जंगलों पर दबाव कम करके, गांवों को रोजगार देकर और संस्कृति को सुरक्षित बचाकर पर्यटन को नया आकार देना आज की जरूरत बन चुका है। बांधवगढ़ इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।
बांधवगढ़ के दो गांव जो बदल रहे हैं पर्यटन का चेहरा
रांछा गांव
रांछा घने जंगलों के बीच बसा गांव है, जहां की शांति और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को पहली ही नजर में आकर्षित कर लेती है। गांव में बन रहे होमस्टे में आने वाले मेहमानों को आदिवासी जीवन, पारंपरिक झोपड़ियां, लकड़ी के घर, गांव की सुबह और शाम का असली अनुभव मिलता है।
डोभा गांव
डोभा में स्थानीय कारीगरी, पारंपरिक नृत्य, लोकगीत और ग्रामीण जीवन की बारीकियां देखने लायक होती हैं। यहां के होमस्टे में आदिवासी परिवारों के साथ रहने का अनुभव पर्यटकों को एक अलग ही जुड़ाव देता है। दोनों गांवों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के पीछे उद्देश्य यह है कि ग्रामीणों को रोज़गार, संस्कृति को बढ़ावा, पर्यटक को असली विलेज लाइफ का अनुभव मिल सके। आने वाले समय में बांधवगढ़ के आसपास और भी गांवों का चयन कर उन्हें पर्यटन के लिए तैयार किया जाएगा।
विलेज टूरिज़्म सिर्फ ठहरने तक सीमित नहीं है। बांधवगढ़ प्रबंधन चाहता है कि यहां आने वाला हर पर्यटक गांव की मिट्टी और भोजन के असली स्वाद से भी जुड़ सके। इसी वजह से होमस्टे में विंध्य क्षेत्र के पारंपरिक व्यंजन परोसने की योजना बनाई जा रही है। पर्यटकों को जिन व्यंजनों का स्वाद मिलेगा, उनमें शामिल हैं मंगौड़ी, रसाज, इंदरहर, दालपूरी, मेझरी की खीर, अमावट का रस, महुए के लाटा, मौहरी ब्रेकरी, स्थानीय लड्डू इन व्यंजनों की खास बात यह होगी कि इन्हें गांव की महिलाएं बनाएंगी। इससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा और पर्यटक स्थानीय स्वाद का असली मज़ा भी ले सकेंगे। मुंबई से आई पर्यटक मीनाक्षी मिश्रा ने अपने अनुभव में कहा मिट्टी की सोंधी खुशबू और लकड़ी की आंच पर पका खाना ये स्वाद शहर में मिल ही नहीं सकता। गांव में रहकर हम एक अलग ही दुनिया में आ गए।
जोहिला फॉल, ज्वालामुखी गेट और बांधवगढ़ बफर जोन
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व पहले भी कई विकल्पों पर काम कर चुका है। सबसे पहले जोहिला फॉल को विकसित किया गया, जहां पर्यटक अपने निजी वाहन से पहुंच सकते हैं। यहां पैदल घूमने और साइकिल ट्रेकिंग का भी विकल्प है, जिसे युवा पर्यटक बेहद पसंद कर रहे हैं। इसके अलावा बफर जोन में बनाया गया ज्वालामुखी गेट भी विलेज टूरिज़्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य और गांव का शांत वातावरण एक विशेष अनुभव देता है। बांधवगढ़ का रांछा गांव, जो पहले ही चर्चित हो चुका है, अब धीरे-धीरे पर्यटकों का पसंदीदा ठहराव बनता जा रहा है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर
विलेज टूरिज़्म सिर्फ पर्यटन का विस्तार नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए एक बड़ी आर्थिक संभावना भी है। इससे स्थानीय परिवारों को होमस्टे से आय, महिलाओं को स्थानीय भोजन पकाने से रोजगार, युवाओं को गाइड, ड्राइवर, सांस्कृतिक प्रस्तुति जैसे काम, हस्तशिल्प, कारीगरी, स्थानीय उत्पादों की बिक्री जैसे कई नए रास्ते खुलेंगे। नाइट सफारी बंद होने से जहां पर्यटन में कमी का डर था, वहीं विलेज टूरिज़्म इस कमी को पूरा करने की क्षमता रखता है।

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