....

भौम प्रदोष व्रत आज

 भौम प्रदोष व्रत आज

भौम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से रोग मुक्ति, कर्ज से छुटकारा और जीवन में खुशहाली आती है। इस बार भौम प्रदोष व्रत 02 दिसंबर 2025 यानी आज के दिन रखा जा रहा है। वहीं, जो साधक इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उन्हें इसकी पावन कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, क्योंकि इसके पाठ के बिना व्रत का फल नहीं मिलता है, 



भौम प्रदोष व्रत का महत्व (Bhaum Pradosh Vrat Significance)

मंगलवार को आने वाले इस प्रदोष व्रत को करने से भक्तों को भगवान शिव और मंगल ग्रह दोनों का आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी है, जो लंबे समय से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। इसके अलावा इस व्रत का पालन करने से कर्ज मुक्ति, जीवन में साहस, शक्ति और आत्मविश्वास आता है, और कुंडली से मंगल के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।



भौम प्रदोष व्रत की पावन कथा (Bhaum Pradosh Vrat Katha)

एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी और एक पुत्र था। एक दिन, ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र को लेकर कमाने के लिए दूसरे शहर की ओर चला। रास्ते में उन्हें एक किसान मिला, जो अपनी पत्नी के साथ गायों को चरा रहा था। किसान ने उन्हें आश्रय दिया। उसी स्थान पर, ब्राह्मण की भेंट एक सिद्ध महात्मा से हुई। महात्मा ने ब्राह्मण से कहा कि वह प्रदोष व्रत का पालन करे, जो सभी दुखों को दूर करने वाला है। ब्राह्मण ने महात्मा की बात मानकर विधिपूर्वक प्रदोष व्रत करना शुरू कर दिया। कुछ ही समय में, ब्राह्मण के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसकी आर्थिक स्थिति सुधर गई और उसे सुख-शांति मिली।


एक बार, ब्राह्मण अपनी पत्नी और पुत्र के साथ एक नगर से गुजर रहा था। उस नगर में एक अनाथ राजकुमारी थी, जिसके पिता का राज्य छिन गया था। राजकुमारी बहुत दुखी थी और एक पेड़ के नीचे बैठ कर रो रही थी। ब्राह्मण ने अपनी पत्नी के कहने पर, दुखी राजकुमारी को सहारा दिया और उसे अपने घर ले आया।


ब्राह्मण ने राजकुमारी को भी प्रदोष व्रत की महिमा बताई। राजकुमारी ने भौम प्रदोष व्रत रखना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद, राजकुमार, जिसने राजकुमारी का राज्य छीना था, एक युद्ध में बुरी तरह घायल हो गया। राजकुमारी की भक्ति और व्रत के प्रभाव से शिव जी ने उस राजकुमार को सपने में दर्शन दिए और उसे राजकुमारी से क्षमा मांगने को कहा। राजकुमार ने राजकुमारी से विवाह किया और उसे उसका राज्य वापस लौटा दिया। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से राजकुमारी को उसका खोया हुआ सुख और साम्राज्य वापस मिला।

Share on Google Plus

click XYZ

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment