....

विवादित अफसर संतोष वर्मा का आईएएस अवॉर्ड वापस लेने मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र को लिखा पत्र, फैसला अब केंद्र के हाथों में

 विवादित अफसर संतोष वर्मा का आईएएस अवॉर्ड वापस लेने मध्य प्रदेश सरकार ने केंद्र को लिखा पत्र, फैसला अब केंद्र के हाथों में 

भोपाल।विवादित बयानों पर घिरे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संतोष वर्मा का आईएएस अवॉर्ड वापस लिए जाने को लेकर राज्य सरकार ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को पत्र लिखा है। वर्मा मप्र कैडर के वर्ष 2012 बैच के प्रमोटी आईएएस हैं। वह संभवतया ऐसे दूसरे अधिकारी हैं, जिनके आईएएस अवॉर्ड पर राज्य सरकार को इस तरह का कठोर निर्णय लेना पड़ा है।



मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने यह पत्र केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भेजा है। तीन पन्नों के इस पत्र में वर्मा के खिलाफ अनेक गंभीर तथ्यों और घटनाक्रम का क्रमवार उल्लेख किया गया है। पत्र में 23 नवंबर को भोपाल में आयोजित अजाक्स सम्मेलन में दिए गए वर्मा के बयान का हवाला देते हुए कहा गया है कि इससे सामाजिक समरसता प्रभावित हुई और समाज में तनाव की स्थिति बनी। इसे अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के लिए अपेक्षित मर्यादित और संतुलित आचरण का उल्लंघन माना गया है।


फर्जी आदेश के आधार पर पदोन्नति का आरोप

पत्र में बताया गया है कि संतोष वर्मा को राज्य प्रशासनिक सेवा से भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के दौरान जिस न्यायालयीन आदेश के आधार पर संवीक्षा (विजिलेंस क्लीयरेंस) दी गई, वह आदेश बाद में संदिग्ध और फर्जी पाया गया। संबंधित आपराधिक प्रकरण (851/2016) में 6 अक्टूबर 2020 को कथित दोषमुक्ति आदेश का हवाला दिया गया था, जबकि पुलिस विवेचना में यह सामने आया कि ऐसा कोई अंतिम आदेश उस तारीख को पारित ही नहीं हुआ था। बाद में इसी फर्जी आदेश के इस्तेमाल को लेकर अलग से आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुआ।


गिरफ्तारी, निलंबन और विभागीय जांच का उल्लेख

राज्य सरकार ने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि फर्जी आदेश प्रस्तुत करने के मामले में वर्मा की गिरफ्तारी हुई, न्यायालयों से उन्हें जमानत मिली और वे 48 घंटे से अधिक समय तक पुलिस अभिरक्षा में रहने के कारण अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम, 1969 के तहत निलंबित किए गए। उनके खिलाफ विभागीय आरोप पत्र जारी किया गया, जवाब असंतोषजनक पाए जाने पर विभागीय जांच संस्थित की गई, जो वर्तमान में प्रक्रियाधीन है।


अब भी लंबित हैं आपराधिक मामले

पत्र में यह तथ्य भी दर्ज है कि मूल आपराधिक प्रकरण अब भी न्यायालय में विचाराधीन है और उसमें कोई अंतिम आदेश पारित नहीं हुआ है। साथ ही, कथित फर्जी न्यायालयीन आदेश के आधार पर पदोन्नति प्राप्त करने का मामला अलग से न्यायिक परीक्षण के दायरे में है।


केंद्र से लिया जाए अंतिम निर्णय

इन सभी तथ्यों, आपराधिक पृष्ठभूमि, विभागीय जांच और हालिया विवादित सार्वजनिक बयान को आधार बनाते हुए राज्य सरकार ने डीओपीटी से अनुरोध किया है कि संतोष वर्मा को दी गई आईएएस पदोन्नति/अवार्ड को निरस्त करने तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा से पृथक किए जाने के संबंध में समुचित निर्णय लिया जाए।


अवॉर्ड वापस लेने का आधिकार केंद्र को

अब इस मामले में निगाहें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं, क्योंकि आईएएस अवॉर्ड वापस लेने और सेवा से पृथक करने का अंतिम अधिकार राष्ट्रपति के माध्यम से केंद्र सरकार के पास ही होता है।


तो आईएएस अवॉर्ड गंवाने वाले वर्मा होंगे दूसरे अधिकारी

वर्मा संभवतया ऐसे दूसरे अधिकारी हैं,जिनका आईएएस अवॉर्ड वापस लेने राज्य सरकार को केंद्र को पत्र लिखना पड़ा। इससे पहले वर्ष 1999 बैच की आईएएस शशि कर्णावत ने भी इसी तरह पद गंवाया। करीब 33 लाख के प्रिटिंग घोटाले में कर्णावत को अदालत ने 5 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद सरकार ने उनकी बर्खास्तगी की सिफारिश केंद्र को की। हालांकि वर्मा पर  सामाजिक समरसता व न्यायालय के खिलाफ बयान देने व आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद,आईएएस अवॉर्ड पाने कूटरचित दस्तावेज,न्यायालयी आदेश का सहारा लिए जाने का आरोप है।


तय मानी जा रही बर्खास्तगी,चार्जशीट भी जल्द

वर्मा राज्य प्रशासनिक सेवा के वर्ष 1996बैच के अधिकारी के तौर पर सरकारी सेवा में आए। साल 2021 में उन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ।उन्हें वरिष्ठता के आधार पर साल 2012 बैच आवंटित किया गया। सूत्रों के मुताबिक,राज्य सरकार की उक्त सिफारिश के बाद उनका आईएएस का तमगा छिनना तय माना जा रहा है। सरकार उन्हें जल्दी ही चार्जशीट भी थमाएगी। इसका संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनकी सेवा समाप्त की जा सकती है।

Share on Google Plus

click XYZ

    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments:

Post a Comment